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सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

मेरी पहली मांग भराई



एक-एक चुदाई जिस्म में आग लगा देती है, चूत की प्यास बढ़ने लगती है, दिल करता है जल्दी से सलवार का नाड़ा खोल लूं और पास पड़ी कोई चीज़ घुसा दूं। या ऊंगली घुसा दूं, अपने किसी आशिक को बुला कर रंगरलियां मना लूं। मेरी उम्र बीस साल की है, मैं बी.ए प्रथम वर्ष की छात्रा हूं। वैसे तो मेरे इस वक्त कई बॉयफ्रेंड हैं और मैं सबको एक साथ संभालना भी जानती हूं।  किसी को उसकी जगह पर रखना मुझे खूब आता है। क्या करूं बचपन भी एक चालू से माहौल में बीता, फिर स्कूल में ही चालू लड़कियों से मेरी दोस्ती हो गई। वो लड़कियां कहती होगी कि उनकी मेरे जैसी चालू लड़की से दोस्ती हो गई। ऐसे ही चलती है जिंदगी। खूब मजे करने चाहिएं, यह हुस्न, यह मदमस्त जवानी, ये नशीली आंखे। अब ही मौका है कि इनके नशे में किसी भी मर्द को हलाल कर लूं। यह वक्त होता है छाती से चुन्नी सरका कर किसी मर्द के सोये नाग को उठाने का, उम्र है जब अपनी चूचियों से किसी का शिकार कर डालो, पतली कमर लचका कर मर्दों को अपने पर फ़िदा करवाने का और फिर बंद कमरे में हुस्न का खेल, जवानी का खेल, जिस्मों का मेल-जोल सब कुछ जवानी में होता है। यह सब मेरा अपना ख़याल है और मैं इस पर चलती भी हूँ। जैसे-जैसे जवानी ने दस्तक देनी शुरु की, तैसे-तैसे मेरा ध्यान लड़कों में लगने लगा, मेरी दिलचस्पी अपनी तरफ देख उनकी हिम्मत बढ़ने लगी। पहले तो आते-जाते कोई कुछ बोल देता, कोई कहता- देख कितनी छोटी है अभी साली फिर भी नैन-मटक्का करने से बाज नहीं आती! साली कैसे बलखा कर चलने लगी है! कोई कहता यार देख तो, आग निकलेगी आग! ऐसे करते-करते सोलहवां, सतरहवां, अठरहवां पूरा किया, मुझ पर जवानी कहर बरपाने लगी। उम्र से पहले मेरी छाती कहर बनने के लिए तैयार हो चुकी थी, लड़कों की बातें सुन-सुन कर अब कुछ-कुछ होने लगता, मैं मुस्कुरा देती, उनके हौंसले बढ़ने लगे और फिर: एक दोपहर कड़ी गर्मी थी, उस दिन स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गई, उस दिनों हम गाँव में रहते थे, मेरी जवानी उफान पर थी। बहुत गर्मी थी, कुरता पसीने से भीग मेरी जवानी से चिपका हुआ था। स्कूल जाने के दो रास्ते थे। पक्की सड़क से घर दो किलोमीटर दूरी पर था। मैं अपनी सहेलियों के साथ पैदल चली जाती थी क्यूंकि उनको अपने मनचले आशिकों से यारी को परवान चढ़वाने का मौका भी मिल जाता था। दूसरा रास्ता कच्चा ज़रूर था, बारिश के मौसम में बिलकुल बेकार था, खेतों से होकर निकलता था जिससे स्कूल एक किलोमोटर ही पड़ता था। जिस दिन किसी सहेली को ज्यादा परवान चढ़ना होता, उस दिन वो उस रास्ते चली जाती। मेरे पीछे आने वाले लड़कों की गिनती कम नहीं थी। मैं भी उनकी बाँहों में झूलना चाहती थी लेकिन काफी देर से खुद को बांध रखा था, मेरे सबसे ज्यादा पीछे आने वालों में से जो युवक था उसका नाम था लल्लन ! वो गाँव के मुखिया का बेटा था। मैंने शुरु से ही किसी लड़के की किसी भी बात को काटा ना था, इसलिए उनकी हिम्मत बढ़ चुकी थी। उस दिन में कड़ी दोपहर स्कूल से जल्दी निकली, अकेली थी, बाकी सब मौके का फायदा उठा अपने यारों से मिलने गई। मैंने छोटे वाले रास्ते से घर आने की सोची, बहुत गर्मी थी तेज़-तेज़ चल रही थी पसीने से कुर्ती भीग गई, आधे रास्ते आई कि किसी ने मेरी कलाई पकड़ मुझे खेत में खींच लिया। इससे पहले में कुछ देखती, सम्भलती, मैं लल्लन की बाँहों में थी, उसने मेरे होंठों पर अपना हाथ रख मुझे चुप करवा दिया, बोला-बहुत प्यार करता हूँ तुझे!, तू है कि कुछ न कहकर भी सब कुछ कह देती है, मुस्कुरा देती है लेकिन उसके बाद सब ठन्डे बस्ते में डाल देती है। आज अपने को नहीं रोक पाया। उसने मेरी गाल की चुम्मी ले डाली। मुझे अजीब सा लगा, उसका हाथ मेरी भीग चुकी कुर्ती पर रेंगने लगा, मुझे लगा जैसे मेरी छाती में कसाव सा आने लगा, उसने होंठों से हाथ हटाया और अपने होंठ रख दिए। मैं चुप थी, कुछ नहीं बोल पाई। उसके जोश में बढ़ावा आया, खुल कर होंठ चूसने लगा और साथ मेरी कुर्ती में हाथ घुसा दिया। उसने मेरा हाथ पकड़ा और खेत के और अन्दर ले जाने लगा। प्लीज़ लल्लन छोड़ दो ! मुझे घर जाने दो! प्लीज़ आरती, आज मुझे मत रोको ! क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती? क्या तू जिंदगी भर मेरी होकर नहीं रहना चाहती? करती हूँ लल्लन ! लेकिन ऐसे हमें किसी ने देख लिया तो? इतनी दोपहर कौन साला घर से निकलेगा? यह तो हम जैसे आशिक ही ऐसे मौकों का फायदा उठातें हैं मेरी जान! वो मुझे खेत के काफी अंदर ले गया, वहाँ फ़सल काटने के बाद उसकी बची हुई घास की ढ़ेरी लगी हुई थी, मुझे बाँहों में लेकर उसने मुझे वहीं लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट मेरे होंठ चूसने लगा। उसने मेरी कुर्ती मेरे बदन से अलग कर दी, आराम से एक तरफ़ रख दी ताकि गंदी ना हो! यह क्यों उतारी? चुप मेरी जान! उसने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे मम्मे दबाने लगा। हाय! यह मुझे क्या हो रहा है? मैं खुद को आराम से उसको सौंप रही थी! उसने अपनी टीशर्ट उतार दी। जब मेरी नंगी छाती उसकी मरदाना छाती से घिसी तो मेरे अंदर आग भड़क उठी, मैं वासना से तपने लगी। उसने मेरा एक चुचूक मुँह में लिया तो मैं उछल पड़ी- हाय! मत करो ना! मुझे अब जाने दो! यह सब बाद में भी हो सकता है। उसने मुझे बाँहों से आज़ाद किया, बोला- ठीक है।जैसे कि मैंने बताया था कि किस तरह गाँव के मनचले मेरे और मेरी बिगड़ी हुई सहेलियों के आगे-पीछे मंडराते थे और हम भी उनका हौंसला बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ती थी। यही कारण था कि सबका हौंसला हमारे प्रति बढ़ चुका था। खैर! उस दिन तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि लल्लन मुझे इस तरह दबोच लेगा, मैं तो अपनी मस्ती में खोई घर लौट रही थी अकेली! ऊपर से गर्मी थी, लेकिन लल्लन ने तो मानो उस दिन घर से निकलते वक़्त धार लिया था कि आज आरती की जवानी के रस में खुद को भिगोना ही भिगोना है। उसने मुझे बाँहों में लेकर खूब चूमा, मेरी कुर्ती उतार दी फिर उसने ब्रा खोल मेरे अनछुए चुचूकों को चूसा और फिर जमकर मेरे होंठों का रसपान किया। इस सब के बीच मैंने कई बार उसको अपने से अलग करने की नाकाम कोशिश भी की लेकिन अलग नहीं हो पाई और वो मेरे बदन के साथ मनमानी करता रहा। पहली बार किसी मर्द का स्पर्श पाकर मैं भी उत्तेजित हो गई थी और सब मर्यादा भूल उसको अपना जिस्म सौंपने तक चली गई थी। लेकिन आखिर मैंने उससे अलग होने को कहा तो ना जाने वो कैसे मान गया, मुझे खुद समझ नहीं आई कि इतना ज़बरदस्त मौका उसने कैसे छोड़ दिया। ना जाने कब उसने मेरा नाड़ा ढीला करके उसका एक सिरा पकड़ लिया था, बोला- ठीक है जाओ! मेरी जान जाओ! लेकिन कब तक और कहाँ तक भागोगी? आखिर तुम्हे लल्लन की होना पड़ेगा! हाँ! हाँ! पक्का! मैं जैसे ही उठी, मेरी सलवार खुल कर नीचे गिर गई और मेरे नाड़े का एक छोर लल्लन ने पकड़ रखा था। हाय! यह क्या हो गया राम जी? बोला- राम जी यहाँ नहीं हैं जान! यहाँ तेरे लल्लन जी हैं! मैंने दोनों हाथ अपनी नंगी जांघों पर रख दिए। करती तो क्या! सच में मैं तो पूरी तरह से उसके बुने जाल में फंस चुकी थी। जैसे ही ऊपर से नंगी हुई, बोला- क्या माल है तू आरती! उसको छुपाया तो बोला- कितनी मुलायम और गोरी जांघें हैं तेरी! उसने उन पर हाथ रख कर सहला दिया- हाय, प्लीज़ छोड़ो मुझे! उसने सलवार पकड़ पीछे रख दी और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। उसने अपनी पैंट उतार दी, सिर्फ अंडरवीयर में था और उसका तंबू बन चुका था। हाय राम जी! आपने क्यूँ उतार दी? तेरे लिए आरती रानी! तेरे लिए! तूने मुझे अपना हुस्न दिखाया, अपनी जवानी दिखाई! तो मेरा फ़र्ज़ बनता है अपनी मर्दानगी दिखाने का! दोनों ही सिर्फ एक-एक वस्त्र में थे। उसने मुझे पकड़ अपने नीचे डाल लिया और वो मुझ पर हावी होने लगा। मैं भी पिघलने लगी। आखिर एक जवान लड़की एक जवान मर्द के साथ एकदम नंगी, वो भी ऐसी जगह पर! उसने जम कर मेरे मम्मे चूसे, मेरे चुचूक काटे, कभी-कभी मेरा पूरा अनार अपने मुँह में लेकर निचोड़ देता, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने कच्छे में घुसा दिया। जैसे ही मैंने उसको छुआ, मेरे तन-बदन में जवानी की आग भड़क उठी, उसने मेरी पैंटी भी उतार फेंकी। और जैसे ही उसका हाथ मेरी तपती चूत पर आया, हाथ लगते मैं भड़क उठी। हाय साईं! यह क्या कर रहे हो? तेरी जवानी लूटने की ओर पहला कदम बढ़ाया है! मत करो ना! मैं मर जाऊँगी! अगर ना छोड़ा तब भी, और अगर छोड़ भी दिया तब भी! वो कैसे? अगर मैंने तुझे चूत मारने दी तो मेरी सुहागरात तो कुंवारापन लेकर सेज पर जाने का सपना ख़त्म और अगर ना करने दिया तो अब मर जाऊँगी। छोड़ो ना जान! बस चुपचाप रहो! उसने लौड़ा निकाल लिया और पहले खुद सहलाया फिर मुझे दिखाते हुए बोला- देख मेरा लौड़ा! असली मर्द का संपूर्ण लौड़ा! मैंने पकड़ा तो वो फड़फड़ा उठा। हाय यह तो उछल रहा है? तेरी जवानी है ही ऐसी मेरी जान! उसने मेरी गर्दन पर हाथ रख नीचे की तरफ दबाव दिया- चूमो इसको मेरी जान! नहीं-नहीं! इसको चूसते नहीं हैं! जान सब चूसती हैं, अपनी सहेली से पूछना! बता देगी! चलो! जैसे मैंने मुँह खोला, उसने मुँह में घुसा दिया और आगे-पीछे करने लगा। मुझे उसका स्वाद अच्छा लगा तो आराम से चूसने लगी, मुझे उसका लौड़ा चूसने में बेहद मजा आ रहा था। फिर उसने मुझे लिटा मेरी टाँगें खोल बीच में बैठ कर अपनी जुबान मेरी चूत पर लगा दी और चाटने लगा, जीभ घुसा-घुसा कर छेड़ने लगा तो मैं पागल हो गई और गांड उठाने लगी। वो जान गया था कि मुझे किस चीज की ज़रूरत है। उसने तुरंत अपना लौड़ा मेरी गुफा के मुँह पर रख दिया और धीरे से धक्का लगाना चाहा पर लौड़ा फिसल गया। मैं पागल होने लगी- घुसा दो ना! हाँ! हाँ! अभी घुस जाएगा मेरी जान! लल्लन, मुझे कभी छोड़ना मत! कभी नहीं! अब तो तेरी जवानी आये दिन और निखरेगी। उसने थूक लगाया दुबारा टिकाया, मैंने हाथ नीचे ले जाकर पकड़ लिया। इस बार उसने जोर देकर धक्का मारा, मानो मेरे कंठ में हड्डी फंस गई हो! दर्द के मारे मेरी आवाज़ निकलनी बंद हो गई थी, मैं तड़फ रही थी, हाथ पैर चलाने की पूरी कोशिश की, उसने तो दूसरे धक्के में पूरा अन्दर घुसा दिया। मैं रोने लगी। बोला- नहीं जा रहा था तो जोर लगाना पड़ा! बस अभी देखना, मेरी आरती खुद कहेगी लल्लन चोद और चोद! बड़ी मुश्किल से बोली- मैं जिंदा बचूंगी तो तब ही कहूँगी ना! मुझे छोड़ दे! साली खेत में पहला मिलन हुआ, जब सब कुछ हो गया अब छोड़ कैसे दूँ? अब तो बस चोद दूंगा। फाड़ दी मेरी चूत तूने! हां फाड़ दी! रुकने के बाद आधा निकाल फिर घुसा दिया। उसे राहत मिली। देखते ही आराम से घिसने लगा मेरी चूत की दीवारों से घिस-घिस कर घुसने लगा। तस्वीर बदल चुकी थी, सच में मेरी गांड हिलने लगी, कमर खुद गोल-गोल हिलते हुए लौड़े का मजा लेने लगी। उसकी चुदाई में एकदम से तेज़ी आई और लल्लन मुझे जोर-जोर से चोदने लगा और फिर आखिर उसने मेरी कुंवारी चूत को मरदाना रस से भिगो दिया। सारा दर्द मिट गया था, हम दोनों हांफने लगे थे। मजा आया ना आरती? हाँ बहुत आया! बहुत दिनों से तुझे अपनी बनाने की ताक में था, आज मौका मिल गया। उठो भी अब! चलो लेट हो जाऊँगी! हाँ-हाँ बस! दोनों खड़े हुए, अपने-अपने कपडे पहने, कुर्ती डालते वक़्त उसने दुबारा मुझे दबोच लिया और मेरे मम्मे पीने लगा।बोला- एक बार और चोदने दे ना! अरे बाबा नहीं! अब तो मैं तेरी हूँ। उसने छोड़ दिया, वो पिछले रास्ते निकल गया। मैंने सलवार का नाड़ा कस कर बांधा और किताबें उठा घर आ गई। मैं अब कुंवारी नहीं थी, लल्लन ने मुझे चुदाई का स्वाद चखा दिया। अब तो मौका मिलते में खेत चली जाती और वहाँ लल्लन मुझे मन मर्ज़ी से रौंदता। इन दिनों ही मेरी नज़रें पास के गाँव के सरपंच के लड़के लाखन से दो से चार होने लगीं और आखिर एक दिन उसने पारो के ज़रिये, पारो मेरी पक्की सहेली, हमराज़ थी, मुझे संदेशा भेज दिया। वैसे भी मुझे महसूस हुआ कि लल्लन कुछ बदला सा था, तो मैंने भी बेवफा बनने में वक़्त नहीं लगाया और लल्लन के रहते ही लाखन का न्योता स्वीकार कर लिया। मैं अब कुंवारी नहीं थी, लल्लन ने मुझे चुदाई का स्वाद चखा दिया। अब तो मौका मिलते में खेत चली जाती और वहाँ लल्लन मुझे मन मर्ज़ी से रौंदता। इन दिनों ही मेरी नज़रें पास के गाँव के सरपंच के लड़के लाखन से दो से चार होने लगीं और आखिर एक दिन उसने पारो के ज़रिये, पारो मेरी पक्की सहेली, हमराज़ थी, मुझे संदेशा भेज दिया। वैसे भी मुझे महसूस हुआ कि लल्लन कुछ बदला सा था, तो मुझे इस बात का इल्म होने लगा था कि वो मुझ से शादी-वादी नहीं करने वाला, बस उसको मेरे जिस्म से प्यार था, मुझे भी अब उससे शादी-वादी नहीं करनी थी लेकिन उसका जोश और मर्दानगी अपनी जगह कायम थी। मुझे उसने चुदाई की लत लगा दी थी तो मैंने भी बेवफा बनने में वक़्त नहीं लगाया और लल्लन के रहते ही लाखन का न्योता स्वीकार कर लिया। लेकिन मैंने लल्लन से अपने जिस्मानी संबंद नहीं तोड़े, मौका मिलते ही हम दोनों खेत में घुस जाते और वहा एक दूसरे के जिस्म को निचोड़ने के बाद निकलते थे। वो जिप बंद करता हुआ निकलता तो मैं सलवार का नाड़ा बांधते हुए! अब तो मुझ पर जवानी और निखर आई थी, सिर्फ अठरह की थी लेकिन खेल बड़े-बड़े सीख चुकी थी। यही कारण था कि लल्लन मुझे छोड़ना नहीं चाहता था और मैं अब लाखन को भी नाराज़ नहीं करना चाहती थी। वैसे भी लल्लन ने मुझे कभी बंदिश में रहने के लिए नहीं कहा। लाखन ने मुझसे अकेले मिलने की इच्छा ज़हर की, मैं भी उसको मना करने के मूड में नहीं थी, लेकिन लाखन के पास पैसा था, वो एक अमीर बाप का बेटा था उसने एक दिन सुबह मुझे स्कूल जाते वक़्त रास्ते से अपनी कार में बिठा लिया। लल्लन स्कूल के बाद मिलता था इसलिए मैंने लाखन को मिलने के लिए सुबह का समय तय किया, चाहे उसके लिए एक दिन स्कूल भी छोड़ना पड़े। लाखन ने मुझे लेकर शहर वाली सड़क पकड़ ली और कुछ देर में हम शहर पहुँच गए। मैं ज्यादा शहर नहीं आई थी, वहाँ की दुनिया अलग थी। मुझे लेकर पहले उसने कॉफी पिलाई और वहाँ नाश्ता भी किया, उसके बाद मुझे वो एक बहुत बड़े मॉल में ले गया और हम एक कपड़ों के शोरूम गए। मेरे लिए जींस खरीदी, टॉप खरीदा। मैंने यह सब कभी नहीं पहना था, अजीब सी लग रही थी, उसके लिए मैंने पहन भी लिए। वहाँ उसी मॉल से उसने मुझे मोबाइल लेकर दिया। मैं बहुत खुश थी। मुझे लेकर होटल की तरफ जाने से पहले उसने कार एक पुरानी सी इमारत के पास रोकी, मुझे लेकर अन्दर गया। वहाँ उसने जेब से सिन्दूर निकाला और एक मंगलसूत्र, लिपस्टिक, लाल चूड़ियाँ भी! उसने मेरी मांग भरी, मंगलसूत्र पहनाया, चूडियाँ चढ़ाई और हम सीधा एक आलीशान होटल में चले गए। ऐसी चकाचौंध मैंने कभी नहीं देखी थी, मैं मानो गाँव से स्वर्ग पहुँच गई थी। दरबान ने सेल्यूट मारा, स्वागत हुआ। वहाँ से एक लड़की ने चाबी थमाई और एक लड़का हमें कमरे तक ले गया। उसने कमरा खोला और हमारा स्वागत किया। बहुत खूबसूरत था कमरा! बिस्तर पर गुलाब के फूल थे, खुशबू से मन मोहा जा रहा था। कैसा लगा मेरी जान? बहुत खूबसूरत! उसने दरवाज़ा लॉक किया, मेरे पास आया, मेरे होंठ चूमे। मेरा कौन-सा पहला स्पर्श था, मैं गर्म होने लगी। उसने मेरा टॉप उतारा, मैं चुपचाप उसकी नज़रों से नज़रें मिला नशीली आँखों से उस पर वार करने लगी। उसने मेरी गर्दन चूमी तो मैं सिहर उठी। बदन कांप सा गया, जिस्म सुलगने लगा! उसने अपनी शर्ट उतार दी। क्या छाती थी! उसने मेरे बाल खोल दिए और मुझे बिस्तर पर धक्का दिया। जैसे ही मैं गिरी, वो मेरे ऊपर गिर गया और होंठों से चूमता हुआ गर्दन पर फिर मेरे ब्रा को सरका मेरे चुचूक पर! मैं मचल उठी! फिर मेरी नाभि पर, फिर उसने मेरा बटन खोला, जिप खोली, घुटनों तक सरकाई, पैंटी के ऊपर से उसने मेरी चूत का चुम्मा लिया। मैं तड़फ उठी! मेरी जांघों पर चुम्बन लिया, जींस नीचे सरकाता गया, चूमता गया! पूरी जींस मेरी गोरी टांगो से अलग की, अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। उसने परदे करके लाईट बंद की और छोटी लाईट जला दी। गुलाब की पंखुड़ियों के ऊपर वो मुझे बेपर्दा करता गया, मैं होती गई। उठा, वाशरूम गया, वापस आते ही उसने अपनी जींस उतारी। मैं नशीली आँखों से बिस्तर पर लेटी देखने लगी। उसने वहीं खड़े रह मुझे आँख मारी और अपने लौड़े को कच्छे के ऊपर से सहलाता हुआ चिड़ाने लगा। मेरी आग भड़कने लगी, मैं मचलने लगी। उसने थोड़ा नीचे सरका दिया अपना कच्छा और अपना लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगा। मैं पागल हो गई, दिल कर रहा था अभी मुँह में ले लूँ! बहुत मस्त लौड़ा था उसका! बड़ा! मोटा! पूरा खड़ा हो चुका था। मुझे चिड़ाने लगा, मैंने सोचा, पहली बार आई हूँ, क्या सोचेगा। मुझे शैतानी सूझी! मैंने वहीं अपनी ब्रा उतार दी और उसको दिखाने लगी। वैसे भी मेरे मम्मे देख सबके खड़े होते हैं, उसके मुँह में भी पानी आने लगा। मैंने अपना एक हाथ पैंटी पर रख लिया और दूसरे से मम्मे सहलाने लगी। वो उसी वक़्त बिस्तर पर कूद गया और पागलों की तरह मेरे मम्मे चूसने लगा, कभी चुचूक चूसता, काट देता! मैं भी अपने को नहीं रोक पाई और उसके अंडरवीयर को उतार फेंका और उसके लौड़े को पकड़ जोर-जोर से मुठ मारने लगी। उसने चूत में ऊँगली घुसा दी तो मैंने उसी वक़्त उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसना शुरु कर दिया। वो भी यही चाहता था और मैं भी! उसका लौड़ा सच में सबसे बड़ा था अब तक जितने पकड़े थे, लिए थे। बहुत स्वाद था उसका नमकीन लौड़ा! और चूस रानी! खाजा इसको! और तुम भी ऊँगली हिलाओ न जोर से! हाँ-हाँ! वो मेरे दाने पर उंगली रगड़ने लगा। मैं चूस रही थी, उसने उंगली तेज़ की तो इधर मेरा मुँह तेज़ी से चल पड़ा। मैं तो झड़ने के करीब आ चुकी थी, तुरंत उसको धकेला और लौड़ा घुसाने को कह दिया। उसने उसी वक़्त टाँगें खुलवा कर कन्धों पर रखवा ली और......वाह! कितना मस्त था उसका लौड़ा! मेरी चूत की दीवारों से घिसता हुआ वो मेरे अन्दर हलचल मचाने लगा, उसकी एक-एक मारी चोट मुझे स्वर्ग दिखा रही थी। करीब दस मिनट वैसे ठोकने के बाद उसने मुझे घोड़ी बनवा दिया और घुसा दिया। फिर साथ-साथ मेरे चूतड़ मसल-मसल मेरी ले रहा था, मैं उसका लौड़ा ले रही थी! वो तेज़ हुआ और करीब सात-आठ मिनट में उसने मेरी चूत को अपने रस से भिगो दिया। मैं तो इस बीच दो बार झड़ चुकी थी, वो सच में असली मर्द था, उसने मेरा ढांचा हिला कर रख दिया था। पूरा दिन उसके साथ रही और उसने दो बार और अपने रस से मेरी चूत और एक बार गांड को पानी पिलाया। जब हम होटल से निकले तो मेरी हालत खस्ता थी। लेकिन आज एक नया लौड़ा ले चुकी थी। घर आकर मैं सो गई, शाम को आंख खुली तो माँ बोली- हमारे साथ शादी पर चल! पापा के एक पक्के दोस्त के लड़के की शादी थी, हमें बारात के साथ जाने का ख़ास न्यौता था। मैंने पढ़ाई का बहाना बना कर मना कर दिया। माँ बोली- चल खाना वगैरा बना कर खा लेना, दादी माँ को खिला देना! दरवाज़े बंद कर लेना! रात को वहाँ से निकलते वक़्त फ़ोन कर देंगे। दरवाज़ा खोल देना। ठीक है! अब भी मेरा बदन टूट रहा था, फिर सो गई। कुछ देर बाद दरवाज़े पर घण्टी बजी! मैं उठी

मंगलवार, 4 नवंबर 2014

अतिथि देवो भव… लेकिन वो तो हाॅलीवुड की देवी थी

बात उस समय की है जब मैंने एक फ़ाईव स्टार होटल में नई-नई नौकरी शुरू की थी। उस समय मै बाईस वर्ष का एक सुन्दर नौजवान था। होटल मेनेजमेन्ट करते समय मैं जिम जाता था| उसके फ़लस्वरूप मेरा शरीर बेलेन्स और सुन्दर हो गया था। मेरी लम्बाई भी लगभग छ: फ़ुट और मेरा चेहरा बहुत ही आकर्षक था, कपड़े भी मुझे पर बहुत फ़बते थे। मुझे लगता था कि मेरे साथ की लड़कियाँ भी मुझ पर मरती थी। मेरे साथी मुझे फ़िल्मो में कोशिश करने को कहते थे, शायद मैं उन सब बातों को मजाक समझता था। मैं इस फ़ाईव स्टार होटल में फ़्रण्ट-ऑफ़िस में काम करता था और अधिकतर मुझे काऊन्टर पर अतिथि का स्वागत करना होता था, उन्हें उनके कमरे तक पहुंचाने का काम भी करना होता था। मेरी यह आप बीती एक होलीवुड की अभिनेत्री के बारे में है। वो एक छब्बीस वर्ष की बेहद सुन्दर युवती थी। उसके लिये होटल में सबसे महंगा स्वीट बुक किया हुआ था। यूं तो यहाँ कई भारतीय अभिनेत्रियां भी आई थी, पर उनमें वो बात नहीं थी, शायद कैमरे के सामने और मेकअप में ही वो सुन्दर लगती थी। उसमें सेक्स अपील जबरदस्त थी। उसका फ़िगर तराशा हुआ और ऐसा प्रतीत होता था कि भगवान ने उसे बनाने में बहुत समय लगाया होगा। उसका चेहरा, उसके होंठ, उसकी मुस्कान, उसकी आकर्षक आंखे हर बात में लाजवाब थी वो। मै उसका असली नाम नहीं लेकर उसे लीज़ा कहूंगा। उसे यहाँ आये हुए दो दिन हो गये थे। जब वो शूटिन्ग से फ़्री होती थी तो मुझसे अवश्य ही बात करती थी। वो मेरा मन मोह लेती थी। पर वी आई पी गेस्ट होने के कारण मुझे ही नहीं सभी को उसकी हर एक बात का ध्यान रखना होता था, यहाँ तक कि उसके इशारों तक को समझना होता था। आज वो लन्च के बाद फ़्री थी। उसने मेरे बॉस से कुछ बात की और मुझे शहर में घूमने के लिये साथ ले गई। वह एक बहुत ही सरल और मधुर स्वभाव की लड़की लगी। मुझसे बात करने में उसकी दिलचस्पी साफ़ झलकती थी, या वो थी ही इतनी सहज कि बात करने में अपनापन लगता था। मुझसे मेरे बारे में उसने सब कुछ पूछ लिया। उसे यह पता चल गया था कि मैं एक साधारण परिवार से हूँ। शायद उसने मेरी इस बात का पूरा फ़ायदा उठाया या कहिये कि हर वक्त वो मुझे कुछ ना कुछ बख्शीश के रूप में देती थी, हर बात में वो मुझे बहुत रुपया देने लगी थी। कोल्ड ड्रिन्क हो या बोटिन्ग करना हो, जहा सौ रुपये लगते, वहाँ वो एक हजार का नोट दे देती थी, और बाकी का बचा हुआ पैसा वापिस भी नहीं लेती थी। शाम तक यूं ही मेरे पास लगभग पांच हजार रुपये जमा हो चुके थे। मैं खुशी से फूला नहीं समा रहा था कि आज मेरे भाग्य से मैं दुनिया की सबसे सुन्दर हिरोईन के साथ था और पैसा भी बहुत मिल गया था। शाम को वो मेरे बॉस से स्वीकृति ले कर मुझे अपने स्वीट में ले गई। वहाँ उसने मेरे साथ कुछ वाईन और स्नेक्स लिये, फिर वो स्विमिंग सूट पहन कर आ गई। स्विमिंग सूट क्या था एक बिलकुल छोटी सी ब्रा और एक ना के बराबर अडरवीयर जिसमें बस उसकी चूत छिपी थी। उसके तराशे हुए चूतड़ की दरार में एक डोरी सी थी जो दरार में ही कहीं खो गई थी। शायद ऐसा पहनना उसके लिये नई बात नहीं थी, क्योंकि वो इसमें भी बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रही थी। (उससे बातचीत के अंश मैं कोशिश करके हिन्दी में रूपान्तर करके लिख रहा हूँ) “आप मेरे साथ पूल में नहाना पसन्द करेंगे?” उसने मुस्कान भरी आवाज में प्रार्थना की। सीधी सी बात थी उसने मुझे आज्ञा दी थी, यह मैं समझता था। “जी पर मेरे पास नहाने के कपड़े नहीं हैं !” मैंने अपनी मजबूरी दर्शाई। “आपने अन्दर अन्डरवीयर पहना है, यह काफ़ी है ! मेरे दोस्त तो नंगे ही मेरे साथ नहाते हैं !” उसने हंसते हुये कहा। मैं शरमा गया। अन्डरवीयर भी पुरानी सी पहना हुआ था। मुझे झिझक आने लगी। पर मैंने कपड़े उतार दिये और मात्र अन्डरवीयर में खड़ा हो गया। उसने मेरे नंगे बदन को एक गहरी नजर से देखा और शायद अपने जहन में उतार लिया। “थेंक्स मेरे प्यारे दोस्त !!! बहुत सुन्दर…आओ चलें !” उसने मुझे गाल पर हल्का सा किस किया और वो मेरे आगे-आगे चल पड़ी। उसकी चाल बला की मनमोहक थी। उसके दोनों चूतड़ो की गोलाईयाँ चलते समय ऊपर नीचे होती हुई गजब ढा रही थी। उसका कमाल का फ़िगर देख कर मेरा लण्ड जोर मारने लगा था, पर डर अधिक लग रहा था कि कहीं लण्ड का उभार उसे नजर ना आ जाये। पर मैं गलत था, उसे सब पता था। पूल पर आकर उसने मुझे पानी में खड़ा कर दिया और स्वयं सामने खड़ी हो गई। “मुझे गोद में ले लो और मुझे धीरे-धीरे पानी में गीला करना, ठीक है?” उसने मुझे समझाया। मैंने उसे एक बच्चे की तरह बाहों में ले लिया। मुझे वो बिलकुल फ़ूल जैसी हल्की लगी। उसका जिस्म मेरी बाहों में आ गया। इतना कोमल और नरम बदन का स्पर्श पा कर मैं सिहर उठा। मेरी सिरहन तक उसे पता चल गई। “तुम्हारा जिस्म बहुत अच्छा है, मुझे इससे प्यार है।” मेरे बदन में चींटिया सी रेंगने लगी। उसने मेरे जिस्म की तारीफ़ की, मुझे पहली बार लगा कि जिम जाने से मेरा शरीर सुन्दर दिखता है। मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था। यह उसे भी पता था, वो अपना एक हाथ नीचे लटका कर मेरे लण्ड को भी छू लेती थी। “क्या मैं तुम्हें चूम सकती हूँ….?” उसने बड़ी सहजता से पूछा और अपने होंठ मेरी तरफ़ बढा दिये। मै कुछ कहता उसके पहले उसके होंठ मेरे होंठो से मिल चुके थे। उसके चूमने का अन्दाज बेहद रोमांचित करने वाला था। मैंने भी जाने कब उसे चूमना और चूसना शुरू कर दिया। उसने अपनी अधखुली आंखो से मुझे देखते हुए कहा,”तुम्हारा भारतीय स्टाईल बहुत अच्छा है, मुझे नीचे पानी में उतार दो !” “जी ….जी….थैंक्स मैम !” “मुझे लीज़ा कहो, मैम नहीं! तुम बहुत उत्तेजित हो रहे हो, क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे?” “लीज़ा, मुझे माफ़ करना, ये तो अपने आप ही ऐसा हो गया !” मेरा खड़ा लण्ड को मैंने नीचे दबाते हुए कहा। “ये तो प्राकृतिक है, इसमें शरमाना कैसा…और मुझे देख कर ये खड़ा नहीं हो, ये तो मेरे लिये अच्छी खबर नहीं है। मुझे अच्छा लगेगा अगर तुम मेरे साथ सेक्स करोगे तो…मुझे भी इसे देख कर चुदाने की इच्छा होने लगी है!” उसने पानी के अन्दर ही मेरा लण्ड सहलाया और उसे पकड़ कर सहलाने लगी। उसके लण्ड को सहलाने का अन्दाज, बस पानी निकालने देने वाला था। उसने मेरी अन्डरवीयर नीचे खींच दी। “बहुत अच्छा है और सुन्दर है तुम्हारा लण्ड, तुम भी! मेरे जिस्म को मसाज करो !” वो भी हीट में आने लगी थी। मुझे चुदाई का कोई अनुभव नहीं था, पर फ़िलहाल इसमें बहुत मजा आ रहा था। उसने मेरी अंडरवीयर पूरी उतार दी और डोरे जैसी स्वयं की अंडरवीयर भी उतार दी। पानी में कुछ साफ़ दिखाई नहीं दिया। उसने मुझे चूत देखते हुए देख लिया और हंसी। वो उछल कर पूल की दीवार पर बैठ गई और अपनी दोनों टांगे खोल दी-मेरी चूत देखना चाहते हो ना ? देखो ! और पास आकर इसे प्यार करो !” मेरे बदन में एक सनसनी दौड़ गई। उसकी गुलाबी चिकनी चूत, शेव की हुई थी, पानी से गीली थी, दोनों उभरी हुई पंखुड़ियों के बीच एक दरार और उसमें से झांकता हुआ गुलाबी सा एक छेद। “लीज़ा, इतनी सुन्दर और मोहक है, सच में चूम लूं क्या?” “येस माई डार्लिंग, कम एण्ड सक इट !” उसने मेरे बाल पकड़ पर अपनी चूत से मेरा मुंह चिपका लिया। सुगंधित, रसीली, चिकनी लसलसी, उभरा हुआ गुलाबी दाना मेरे होंठो से टकरा गये। एक ही सांस में उसका सारा पानी जीभ से मैंने चाट लिया, उसकी चूत की गुहा में मैंने अपनी जीभ घुसा दी। मेरी नाक की नोक उसके दाने पर से रगड़ खा गई। “ओह गॉड, सो स्वीट, आहऽऽऽ, यू आर टू गुड, ओह्ह सक माइ पूसी हार्ड !” वो सिसक उठी। मेरे हाथ उसके सुडौल उरोजों पर आ गये। जैसे ही मैंने उसे दबाया तो कह उठी,”नाईस, ओह्ह्ह, स्लो डियर, दिस इस माइ फ़िगर बॉय, नाउ लीव इट !” उसे मजा तो बहुत आ रहा था पर शायद चूंची दबाने से उसके उरोज ढीले ना पड़ जाये, उसने मेरा हाथ हटा दिया। अब वह पानी में कूद पड़ी, और मेरे से लिपट गई। “अब तुम इस दीवार पर बैठ जाओ” मै उछल कर दीवार पर बैठ गया। “प्लीज डोन्ट माइन्ड, यूअर कोक इस सो नाईस, मे आई लव इट?” मुझे बहुत देर तक जगह-जगह चूमती रही फिर मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। “बहुत अच्छा है तुम्हारा लण्ड !” उसने मुझे जताया कि उसे भी थोड़ी बहुत हिन्दी आती है। ऐसा नहीं कहते लीज़ा, आप बहुत अच्छी है” काफ़ी देर तक वो लण्ड का मजा लेती रही, मेरी हालत झड़ने जैसी होने लगी। बस लीज़ा, अब नहीं !” उसने अपनी नशीली आंखे ऊपर उठाई, उसकी वासना का आलम चरम सीमा पर था। उसकी आँखे गुलाबी हो उठी थी। उसने मुझे प्यार से पानी में उतार लिया फिर मेरी ओर पीठ करके और चूतड़ उभार कर घोड़ी बन कर खड़ी हो गई। बेहद कशिश भरी आवाज में वो बोली,”फ़क माइ पूसी, माइ बॉय। डू इट नाउ, कम ऑन, लेट्स एन्जोय नाउ !”मैंने अपने आपको रोक नहीं सका और अपना लण्ड पानी के अन्दर ही उसकी चूत से चिपका दिया। मै अब उसकी पीठ से चिपक गया और लण्ड का जोर लगाने लगा। लीज़ा ने हाथ का सहारे से लण्ड को अपनी चूत में डाल दिया और अपने चूतड़ मेरे लण्ड पर दबा दिया। मैंने भी जोश में जोर लगाया। लण्ड मक्खन की तरह उसकी चूत में पानी के भीतर ही घुस पड़ा।“ओह्ह डार्लिन्ग, फ़क मी, इट इस टू गूऽड”मेरे लण्ड में हल्की सी जलन हुई, मुझे चोट सी लगी, पर मैं उसे नाराज करने की स्थिति में नहीं था। फिर मेरी हालत भी ऐसी नहीं थी कि मैं उसे नहीं चोदता, वासना की तेजी मुझ पर भी थी। मैंने जलन सहते हुये लण्ड पूरा घुसा दिया। लीज़ा झूम उठी और मस्ती में कमर जल्दी जल्दी हिलाने लगी। उसकी चूत में लण्ड आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था, टाईट या कसी हुई चूत नहीं थी। इसलिये अब जलन भी कम होती जा रही थी।मुझे भी उस रस भरी चूत का आनन्द आने लगा था। उसकी कोमल काया, मखमली बदन, फिर गोरी चमड़ी, गोरी चूत, गोरी गाण्ड। उसके सारे शरीर को सहलाते हुये धक्के मारने में असीम आनन्द आ रहा था। पानी में लहरे चलने लगी और छप छप की आवाज अने लगी। जोश में मैंने उसकी चूंचियाँ मसल ही दी और उसे दबा कर जोर से चोदने लगा।“माई गॉड, फ़क मी हार्ड, माई बॉय, ऊऊईईईई, ओह्ह्ह, व्हॉट ए कॉक्….”“हाय मैम, फ़ीलिंग नाईस, ओह्ह, तेरी तो…. साली मक्खन मलाई है !” मुझे भी आनन्द मारे मस्ती आ रही थी।“यू मीन बटर…. आह लण्ड अच्छा है, फ़क मी !” उसके बोलते ही मुझे मालूम हो गया कि उसे मजा आ रहा है। उसने अपनी टांगे पानी में और फ़ैला ली और थोड़ा और झुक कर मेरे लण्ड को धक्का मारने लगी। फिर उसने अपना पोज बदल लिया। और सामने आकर मेरे से जोर से लिपट गई। लण्ड एक बार फिर अपने निशाने पर घुसता चला गया।उसकी सिसकारियाँ बढ़ गई थी। उसकी चूत और मेरा लण्ड फिर से तेजी में आ गये। पर वो सामने से अच्छे झटके दे रही थी। दोनों सामने से एक दूसरे को धक्के मार मार कर चोद रहे थे। पानी में भी उबाल आ चुका था। लहरें चुदाई के कारण उछल उछल कर हमें भिगा भी रही थी। चूंकि मेरी यह पहली चुदाई थी सो मेरा शरीर जवाब देने लग गया था, मेरे लण्ड में गहरी मिठास भरने लगी थी। उधर लीज़ा का भी यही हाल था। उसकी तेजी बता रही थी कि अब जवानी का रस बाहर आने को बेताब है।“माइ लव, आह्ह्ह, माई पूसी हेज गोन नाउ ऊईईई !”“मैम, मेरा तो हाय, निकलने वाला है !” मै इंगलिश भूल गया और हिन्दी बोलने लगा।“ओह्ह्ह कमिन्ग, ऊईईई…. फ़क मी हार्ड्…. कमिन्ग बॉय….” और उसने शायद पानी छोड़ दिया। मुझे उसने पीछे धक्का दे दिया और लण्ड निकाल दिया। मेरा लण्ड भींच कर पकड़ लिया और मुठ मारने लगी। कुछ ही क्षणो में मेरा वीर्य पानी में लहरा कर निकल पड़ा। मेरा वीर्य निकलते हुए वो देखती रही। “ओह्…. सो नाईस, व्हॉट ए कलर, यूअर कम इस सो ब्यूटीफ़ुल, यु इण्डियन आर वेरी नाइस इन फ़किन्ग !” और स्वयं पानी के अन्दर डुबकी लगा गई। मैं भी उसके पीछे गोता मार कर तैरने लगा। कुछ ही देर में हम पानी से बाहर आ गये। दोनों नंगे ही कमरे के अन्दर भाग कर चले गये। कुछ देर पश्चात मैं फिर से अपनी ड्रेस में था। शाम गहरी हो चुकी थी। उसके डिनर का समय हो गया था। मैंने लीज़ा से जाने की इज़ाज़त मांगी। “ठहरो, मेरी तरफ़ से ये गिफ़्ट !” उसने एक लिफ़ाफ़ा मुझे दिया। मैंने सर झुका कर उसका अभिवादन किया और लिफ़ाफ़ा ले कर बाहर आ गया। घर आ कर मैंने लिफ़ाफ़ा खोला तो उसमें एक हज़ार के पचास नोट थे। और एक इन्विटेशन कार्ड था, उसका पता लिखा हुआ था। उसमें एक सन्देश था,“आई लव यू ! जब भी जी चाहे मुझे फोन कर देना, और तुम यू.एस.ए. में होगे…….. लीज़ा” मुझे एक बार सारी घटना फिर से आंखो के सामने घूम गई। एक प्यारी सी, गुड़िया सी, भली सी लगने वाली सुन्दरता की मूर्ति, मुझे जैसे कुछ यकीन ही नहीं हो रहा था……..मानो एक सपना देखा हो….

रविवार, 23 फ़रवरी 2014

World Cup ki yaad


इस तरह एक बार फिर भारत दिखा दो


कपिल पाजी के बाद अब धोनी की बारी है बस एक बार धोनी दिखा दो. अब बहुत हो गया इस कप का इंतज़ार अब तो दूर करो इसका सुखा अब नहीं होता है और इंतजार. 


धोनी अब तरी बारी है. कपिल पाजी के बाद नहीं आया ये कप 


एक बार फिर हो ये कप अपना धोनी अब कुश न्यू करो और जीतो ये कप.


यही टीम हा जो दोहरा सकती है हिस्टरी कुकी इस टीम मे दम है जोश है और जीतने की ताकत है इसलिय ये ही हा टीम जो रच सकती हा हिस्टरी. 


एक बार मैदान मे हो जाया.

कल टीम का चयन होना है जो वर्ल्ड कप मे जायगी. 

कूष यहाँ और कूष वाहा

टी-२० के बाद अब ५० - ५० की बारी.

अब फिर प्रेसिडेंट का हैण्ड माँ हो वर्ल्ड कप. 

ये  कप नहीं हमारा दिल है 

बस अब नहीं तो कभी नहीं. 






टी- २० का बाद हो जाया ५० -५० का कप. 


Kush