लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

मैं और मेरी गर्लफ्रेंड


मै एक विद्यार्थी हूँ कक्षा 12 का और यह कहानी सोनू नाम की लड़की की है जो मेरी ही कक्षा में पढ़ती थी| कुछ महीने पहले मेरी दोस्ती सोनू नाम की लड़की से हुई वो मेरे साथ मेरी ही कक्षा में पढ़ती थी| दिन पर दिन हम एक दूसरे से ज्यादा बाते करने लगे और जब भी समय मिलता तो हम दोनों एक दूसरे से मिल लिया करते थे| हर दिन हमारी दोस्ती कुछ नया ही मोड़ लेने लगी थी, हम दोनो एक दूसरे को मन ही मन जैसे चाहने लगे थे पर अभी प्या का इज़हार करना बाकी था| एक दिन मोका पाते ही मैने सोनू से अपने दिल की बात बोल दी और सोनू ने भी जवाब में हाँ बोल दिया और मै बहुत खुस हो गया था| जब मेरे माँ - बाप घर से बहार चले जाते तो मै सोनू को फोन कर के अपने घर बुला लिया करता था और फिर हम दोनो मेरे घर की छत पर चले जाया करते थे और एक दूसरे से खूब बातें किया करते थे, मै अकसर बात करते- करते सोनू का हाथ पकड़ लिया करता था और उसके हाथ को धीर-धीरे सहलाया करता था जिससे सोनू के शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते और वो अंदर से गरम होने लगती थी और मैं फिर मोका देख कर सोनू के साथ रोमांस किया करता था. जब घर जाने का समय आने को होता तो, मैं उसके हाथों को चूमता और कल फिर मिलने को कहता जिस पर सोनू धीमी मुस्कान देती और फिर से मिलने आने का वादा कर के घर चली जाती|
एक दिन मेरे माता और पिता गॉव जा रहे थे क्यूंकि मेरे दादा चल बसे थे| इतनी जल्दबाजी में उन्हें मुझे घर पर अकेला ही छोड़ जाना पड़ा| मैं हमेशा ही सोनू के साथ एकेले में कुछ ज्यादा समय बिताने के उपाए सोचता रहता और आखिर किस्मत ने वो पल मेरे सामने ला ही दिया| मैंने सोनू को एक दिन स्कूल बंक करके मेरे साथ घर पर आने को कहा, इस पर पहले तो उसने कुछ नामर्जी जताई पर आखिर शरमाते हुए मान ही गयी| मैं खुस होकर सुबह – सुबह अपना घर सजाया और अपनी जानेमन का इंतज़ार करने लगा| इतने मै घर की घंटी बजी और मेरे सामने मेरी जानेमन सोनू खड़ी थी मैंने उसे घर के अंदर आने को कहा वो मुस्कुराकर घर के अंदर आई और मेरी पलंग पर बैठ गई फिर हम दोनो ने कुछ ईथर -उधर की बातें की और फिर से मैंने सोनू का हाथ पकड़ा और धीमी – धीमी मुस्कान के साथ उसके हाथों पर अपना हाथ रख सहलाता और उसे गरम करने लगा| फिर मैंने सोनू से योन सम्बंधित बाते करना शुरू कर दी. जिसपर सोनू ने पहले तो मना किया फिर कुछ देर बाद वो भी मुझे अच्छी प्रतिक्रिया देने लगी और मेरा लंड उसे देख कर और उसकी बातो को सुनकर खड़ा हो सलामी देने लगा| कुछ देर बाद हम दोनो एक दूसरे को देखने लगे और फिर मैंने सोनू को अपनी बाहों से लगा लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा सोनू पूरी तरह से गरम हो चुकी थी. जब- जब मै उसकी गर्दन चूमता वो मुझे “मत करो -मत करो” कह कर शांत हो जाती और अपने लबों से गरम – गरम सिसकियाँ लेती| मैं उसकी गर्दन चूमता -चूमता उसके गलों को चूमने लगा और फिर नाजुक होठों का रस पीने लगा और अपने हाथो को उसकी चुचियों पर फेरता और चूची के सांवले निपल्लों को बारी – बारी दबाने लगता और अपने मुह को उसके दुदों पर रगड़ने लगा. अपने होठों से उसके दुदों की मालिश के बाद मै सोनू के पेट को चूमने लगा और उसकी कमर पर अपने गरम- गरम हाथ मलने लगा, सोनू तड़पने लगी और मेरे पलंग पर लेट गई और फिर मैंने सोनू के पेट की नाभि को चूमा और उसकी सलवार को उतारा और उसकी जागों पर अपना हाथ रख कर फेरने लगा और जब मैंने अपनी उंगली उसकी चुत के ऊपर रगड़नी चालू की तो उसकी चुत का पानी निकलने लगा| मैंने सोनू की चुत मै उंगली देना जैसे ही सुरु किया सोनू जोर सा चिल्लाने लगी और मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली मुझे दर्द हो रहा है मैने सोनू को समझाया और कहा पहली बार सबको दर्द होता है और फिर अपनी उँगली करने लगा सोनू ने मुझे कसके पकड़ लिया और पलंग पर रेंगने लगी और “सी -सी- सी” कर सिसकियाँ भरने लगी| अब मुझे और मेरे लंड को रुका नहीं जा रहा था मेरा लंड सोनू की चुत को देख कर बेकाबू होना शुरू हो चूका था| मैंने अपने लंड को चड्डी से बाहर निकाल कर झटकना शुरू कर दिया और उसकी टांगो को चीरा और कुछ करीब आकर अपने लंड को सोनू की कुंवारी चुत पर कुछ देर मसला जैसे ही सोनू की चुत का पानी बहार आने लगा तभी मैंने अपने लंड को हल्का सा धक्का लगाकर उसकी की चुत मै घुसाना शरू कर दिया. सोनू- आआआअह… आआआअह उउउमा मर गई . .रब्बा . . करके जोर -जोर से अपना सर पलंग पर मारने लगी और मै – बस कुछ और बस कुछ देर और . .जानेमन . . करते हुए सोनू को तसल्ली देने लगा सोनू की आखों मै से आंसू निकल रहे थे और मुहँ मै से दर्द भरी आवाज़ और फिर मै अपने लंड को पूरी तरह सोनू की चुत मै डालने की कोशिस करने लगा और अपनी जागों को कसकर हल्का – सा धक्का लगाया और अपना लंड सोनू की चुत मै घुसा दिया सोनू जोर से चिल्ला दी और उसकी चुत से खून निकलने लगा और मेरे पलंग की चादर को लाल कर दिया अब सोनू की चुत फट चुकी थी| मैंने फिर अपने लंड को सोनू की चुत मै आगे -पीछे करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे अपनी चोदने की रफ़्तार को बड़ा दिया| दूसरी तरफ सोनू का बुरा हाल हो रहा था और उसका शरीर दर्द से काँप रहा था | कुल 20-30 मिनट सोनू की चुत मारने के बाद अब मेरा लंड झड़ने वाला था| मैंने एक दम से अपने लंड को सोनू की चुत से बहार निकला और उसके पेट पर अपना मुठ गिरा दिया और फिर सोनू की बगल मै आकर उससे लिपट कर सो गया उस दिन मेरे लंड की प्यास सोनू की चुत से ही बुझी थी| जब हम दोनो सोकर उठे तो देखा हमारे सारे कपड़े खून मै सने हुए थे फिर मैंने उन कपड़ो को धो दिया और फिर सोनू के साथ रोमांस करते हुए पलंग पर बाते करने लगा| उस दिन के बाद जब भी हम दोनो को योन क्रिया करने का मन करता तो हम अपनी कॉलोनी के पास वाले होटल मै कमरा लेकर योन–क्रिया करने चले जाया करते थे|

1 टिप्पणी: