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रविवार, 22 अप्रैल 2012

रेखा की मस्ती



ट्रेन अपनी गति पकड़ चुकी थी। मैं खिड़की के पास बैठा हुआ बाहर के सीन देख रहा था। इतने मे कम्पार्ट्मेन्ट मे एक सुन्दर सी लड़की अन्दर आयी। मैने उसे देखा तो चौंक गया। सामने आकर वो बैठ गयी। मैं उसे एकटक देखता रह गया। तभी मेरा दिमाग ठनका। और वो मुझे जानी पहचानी सी लगी। मैने उसे थोड़ा झिझकते हुए कहा," क्या आप रेखा डिकोस्टा हैं..." "ह...आ...हां...आप मुझे जानते हैं......?" "आप पन्जिम में मेरे साथ पढ़ती थी ...पांच साल पहले..." "अरे...तुम जो हो क्या......" "थैंक्स गोड......पहचान लिया...वर्ना कह्ती...फिर कोई मजनूं मिल गया..." "जो...तुम वैसे कि वैसे ही हो...मजाक करने की आदत गई नहीं...कहां जा रहे हो...?" "मडगांव......फिर पन्जिम..मेरा घर वहीं तो है ना..." "अरे वाह्... मैं भी पण जी ही जा रही हूं..." पण जी का पुराना नाम पंजिम है...रास्ते भर स्कूल की बातें करते रहे...कुछ ही देर में मडगांव आ गया। हम दोनो ही वहां उतर गये। वहां से मेरे चाचा के घर गये और कार ले कर पंजिम निकल गये। वहां पहुंच कर मैने पूछा-"कहां छोड़ दूं.....?" "होटल वास्को में रुक जाउंगी...वहीं उतार देना..." "अरे कल तक ही रुकना है ना...तो मेरे घर रूक जाओ..." "पर जो...तुम्हारे घर वाले..." अरे यार...घर में मम्मी के सिवा है ही कौन..." वो कुछ नहीं बोली। हम सीधे घर आ गये। मैने अपना कमरा खोल दिया-"रेखा तुम रेस्ट करो...चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो...अन्दर सारी सहुलियत है..." मैं मम्मी के पास चला गया। शाम ढल चुकी थी। खाने के पहले मैने जिंजर वाईन निकाली और उसे दी...मैंने भी थोड़ी ले ली। बातों में रेखा ने बताया कि उसके पापा के मरने के बाद उसकी प्रोपर्टी पर बदमाशों ने कब्जा कर लिया था...फिर वहां उसके भाई को मार डाला था। उसे बस वो मकान एक बार देखना था। "मुझे अभी ले चलोगे क्या...अभी...... नौ बजे तक तो आ भी जाएँगे..." कुछ जिद सी लगी...
"क्या करोगी उसे देख कर...अब अपना तो रहा नही है..." "मन की शान्ति के लिये...सुना है आज वहां जोन मार्को आ रहा है..." "अच्छा चलो...भाड़ में गया तुम्हरा मार्को..." मैने उसका कहा मान कर वापिस कार निकाली और उसके साथ चल दिया। मात्र दस मिनट का रास्ता था। उस मकान में एक कमरे में लाईट जल रही थी। हम दोनो अन्दर गये... "वो देखो...वो जो बैठा है ना...दारू पी रहा है...उसने मेरे भाई को मारा है..." मैने खिड़की से झांक कर देखा...पर मुझे उस से कोई वास्ता नहीं था... "मैं कार में बैठा हूं जल्दी आ जाना......" मैं वापस कार में आकर उसका इन्तज़ार करने लगा। कुछ ही देर बाद रेखा आ गयी। बड़ा संतोष झलक रहा था उसके चेहरे पर। मैने गाड़ी मोड़ी और घर वापस आ गये...हां रास्ते से उसने भुना हुआ मुर्गा और ले लिया... "चलो जो... आज मुर्गा खायेंगे...मै आज बहुत खुश हूं......" घर पहुंचते ही जैसे वो नाचने लगी। मेरा हाथ पकड़ कर मेरे साथ नाच कर एक दो चक्कर लगाये। मुझे उसकी खुशी की वजह समझ में नहीं आ रही थी। उसने भी मेरे साथ फ़ेनी ड्रिंक ली...और फिर मुर्गा एन्जोय किया। रात हो चुकी थी... "रेखा तुम यहां सो जाओ...मैं मम्मी के पास सोने जा रहा हूं...गुड्नाईट्..." "क्या अभी तक मम्मी के साथ सोते हो...आज तो मेरे साथ सो जाओ यार..." "अरे क्या कह्ती हो ...चुप रहो...ज्यादा पी ली है क्या..." "चलो ना...आज मेरे साथ सो जाओ ना जो...... देखो मैं कितनी खुश हूं आज...आओ खुशियां बांट ले अपन...दुख तो कोई नहीं बांटता है ना...मेरे साथ सेलेब्रेट करो आज..." उसने मेरा हाथ थाम लिया...मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि रेखा क्या बोले जा रही है.. रेखा ने पीछे मुड़ कर दरवाजा बन्द कर लिया। मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी...मैने मजाक में कहा-"देखो रेखा...मैं तो रात को कपड़े उतार कर सोता हूं..." "अच्छा...तो आप क्या समझते है...मै कपड़ों के साथ सोती हूं..." उसने अपनी एक आंख दबा दी। उसी समय लाईट चली गयी। उसने मौका देखा या मैने मौका समझा...हम दोनो एक साथ, एक दूसरे से लिपट गये। उसके उन्नत उरोज मेरी छाती से टकरा गये। शायद खुशी से या उत्तेजना से उसकी चूंचियां कठोर हो चुकी थी। मेरे हाथ स्वत: ही उसके स्तनों पर आ गये...मैने उसके स्तन दबाने शुरु कर दिये...उसके कांपते होंठ मेरे होठों से मिल गये...तभी फ़िल्मी स्टाईल में लाईट आ गयी...पर हम दोनो की आंखे बन्द थी...मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था और उसके कूल्हों पर टकरा रहा था। उसे भी इसका अह्सास हो रहा था।
"आओ जो...बिस्तर पर चलते है...वहां पर मेरी बोबे...चूत...सब मसल देना...अपना लन्ड मुझे चुसाना... आओ..." मैने उसके मुंह से खुली भाषा सुनी तो मेरी वासना भड़क उठी। मैने भी सोचा कि मैं भी वैसा ही बोलूं -"फिर तो तुम कही...चुद गयी तो..." "अरे हटो...तुम बोलते हो तो गाली जैसी लगती है..." उसने मेरा मजाक उड़ाया फिर धीरे से बोली..."और बोलो ना जो..." मैने रेखा को गोदी में उठा लिया...मुझे आश्चर्य हुआ वो बहुत ही हल्की थी...फ़ूलों जैसी...उसे बिस्तर पर प्यार से लेटा दिया। उसका पजामा और कुर्ता उतार दिया। रेखा बेशर्मी से अपने पांव खोल कर लेट गयी...उसकी चूत पाव जैसी फ़ूली हुयी प्यारी सी सामने नजर आ रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी चूंचियां पर्वत की तरह अटल खड़ी थी...मैने भी अपने कपड़े उतार डाले। ""बोलो...कहां से शुरु करें......"
"अपना प्यारा सा लन्ड मेरे मुँह में आने दो...देखो मेरे ऊपर आ जाओ पर ऐसे कि मेरे कड़े निप्पल तुम्हारी गान्ड में घुस जाये" मैं रोमन्चित हो उठा...रेखा ज्यादा ही बेशर्मी की हदें पार करने लगी। लेकिन मुझे इसमे अलग ही मजा आने लगा था। मैं बिस्तर पर आ गया और उसके ऊपर आ गया...अपनी चूतड़ों को खोल कर उसके तने हुए कड़े निपल पर अपनी गान्ड का छेद रख दिया और अपने खड़े लन्ड को उसके मुँह में डाल दिया। उसके निप्पल की नोकों ने मेरी गान्ड के छेद पर रगड़ रगड़ कर गुदगुदी करनी चालू कर दी...और मेरे लन्ड को उसने मुँह में चूसना शुरू कर दिया। मुझे दोनों ओर से मजा आने लगा था। वो लन्ड चूसती भी जा रही थी और हाथ से मुठ भी मार रही थी। मेरा हाथ अब उसकी चूत ओर बढ़ चला। उसकी चूत गीली हो चुकी थी...मेरी उंगली उसकी चूत को आस-पास से मलने लगी। उसे मस्ती चढ़ती जा रही थी...मैनें अपनी उंगली अब उसकी चूत में डाल दी...वो चिहुंक उठी। उसने बड़े ही प्यार से मेरी तरफ़ देखा। मेरा लन्ड मस्ती मे तन्नाता जा रहा था... उसका चूसना और मुठ मारना तेज हो गया था। मैनें आहें भरते हुए कहा - "रेखा अब बस करो... वर्ना मेरा तो निकल ही जायेगा..."
"क्या यार जो... शरीर से तो दमदार लगते हो और पानी निकालने की बात कहते हो..."
"हाय।... तुम हो ही इतनी जालिम... लन्ड को ऐसे निचोड़ दोगी... छोड़ो ना..."
मैने अपना लन्ड उसके मुंह से निकाल लिया... वो बल खा कर उल्टी लेट गयी ...
"जो मेरी प्यारी गान्ड को भी तो अपना लन्ड चखा दो..."
"अजी आपका हुकम... सर आंखो पर......"
मैने उसकी गान्ड की दोनो गोलाईयों के बीच पर अपना लन्ड फंसाते हुये उस पर लेट गया। और जोर लगा दिया। उसके मुंह से हल्की चीख निकल गयी... मुझे भी ताज्जुब हुआ लन्ड इतनी आसानी से गान्ड में घुस गया... दूसरे ही धक्के में पूरा लन्ड अन्दर आ गया। मुझे लगा कि कहीं लन्ड चूत में तो नहीं चला गया। पर नहीं...उसकी गान्ड ही इतनी चिकनी और अभ्यस्त थी यानि वो गान्ड चुदाने की शौकीन थी। मुझे मजा आने लगा था। मैंने अब उसके बोबे भींच लिये और बोबे दबा दबा कर उसकी गान्ड चोदने लगा। वो भी नीचे से गान्ड हिला हिला कर सहायता कर रही थी।
"जोऽऽऽऽ चोद यार मेरी गान्ड ...... क्या सोलिड लन्ड है... हाय मैं पहले क्यो नहीं चुदी तेरे से..."
"मेरी रेखा ... मस्त गान्ड है तेरी ... मक्खन मलाई जैसी है ... हाय।...ये ले... और चुदा..."
"लगा ... जोर से लगा...... जो रे... मां चोद दे इसकी...... हरामी है साली... ठोक दे इसे..."
पर मेरी तो उत्तेजना बहुत बढ़ चुकी थी मुझे लगा कि जल्दी ही झड़ जाउंगा...। मैने उसकी गान्ड मे से लन्ड निकाल लिया......... रेखा को सीधा कर लिया... और उसके ऊपर लेट गया... रेखा की आंखे बन्द थी... उसने मेरे शरीर को अपनी बाहों में कस लिया। हम दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपट गये जैसे कि एक हों... मेरा लन्ड अपना ठिकाना ढूंढ चुका था। उसकी चूत को चीरता हुआ गहराईयों में बैठता चला गया। रेखा के मुँह से सिस्कारियाँ फ़ूटने लगी... वो वासना की मस्ती में डूबने लगी... मेरे लन्ड मे भी वासना की मिठास भरती जा रही थी... ऊपर से तो हम दोनो बुरी तरह से चिपटे हुए थे ...पर नीचे से... दोनो के लन्ड और चूत बिलकुल फ़्री थे... दोनो धका धक चल रहे थे नीचे से चूत उछल उछल कर लन्ड को जवाब दे रही थी... और लन्ड के धक्के ... फ़चा फ़च की मधुर आवाजें कर रहे थे।
"हाय जो...... चुद गयी रे...लगा जोर से... फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को..."
"ले मेरी जान ... अभी बहन चोद देता हू तेरी चूत की ... ले खा लन्ड ... लेले...पूरा ले ले... मां की लौड़ी..."
रेखा के चूतड़ बहुत जोश में ऊपर नीचे हो रहे थे। चूत का पानी भी नीचे फ़ैलता जा रहा था... चिकनाई आस पास फ़ैल गयी थी। लगा कि रेखा अब झड़ने वाली है... उसके बोबे जोर से मसलने लगा। लन्ड भी इंजन के पिस्टन के भांति अन्दर बाहर चल रहा था।
"जोऽऽऽ जाने वाली हूं... जोर से... और जोर्... हाय... निकला..."
"मेरी जान... मै भी गया... निकला... हाय्..."
"जोऽऽऽ ... मर गयी... मांऽऽऽऽऽरीऽऽऽऽऽ जोऽऽऽऽऽऽ... हाऽऽऽऽऽय्........."
रेखा झड़ने लग गयी... मुझे कस के लपेट लिया... उसकी चूत की लहर मुझे महसूस होने लगी...... मेरी चरमसीमा भी आ चुकी थी... मैने भी नीचे लन्ड का जोर लगाया और पिचकारी छोड़ दी... दोनों ही झड़ने लगे थे। एक दूसरे को कस के दबाये हुये थे। कुछ देर में हम दोनो सुस्ताने लगे और मैं एक तरफ़ लुढ़क गया... रेखा जैसे एक दम फ़्रेश थी...बिस्तर से उतर कर अपने कपड़े पहनने लगी। मैने भी अपनी नाईट ड्रेस पहन ली । इतने मे घर की बेल बज उठी...
मैं सुस्ताते हुए उठा और दरवाजा खोला... मैं कुछ समझता उसके पहले हथकड़ी मेरे हाथों मे लग चुकी थी... मैं हक्का बक्का रह गया। पुलिस की पूरी टीम थी। दो पुलिस वाले रेखा की और लपके... मैं लगभग चीख उठा...
"क्या है ये सब... ये सब क्यों..."
इन्सपेक्टर का एक हाथ मेरे मुँह पर आ पड़ा... मेरा सर झन्ना गया। मुझे समझ में कुछ नहीं आया।
"दोनो हरामजादों को पकड़ लेना ...... सालों को अभी मालूम पड़ जायेगा" पुलिस जैसे जैसे रेखा के पास आ रही थी... रेखा की हंसी बढ़ती जा रही थी...
"जान प्यारी हो तो वहीं रूक जाना ... जो का कोई कसूर नहीं है...... मार्को मेरा दुशमन था..."
"अरे पकड़ लो हरामजादी को..."
"रूक जाओ ... उसे मैंने मारा है मार्को को... उसने मेरे भाई का खून किया था ...मेरी इज्जत लूटी थी... फिर मुझे चाकुओं से गोद गोद कर मार था...... उसे मैं कैसे छोड़ देती... मैने उसे मारा है..."
"क्याऽऽऽ ... तुम्हे मारा... पर तुम तो ......"
"बहुत दिनों से तलाश थी मुझे उसकी... आज मिल ही गया... मैने जशन भी मनाया... जो ने मुझे खुश कर दिया..."
रेखा का शरीर हवा मे विलीन होता जा रहा था......
"जो ने कुछ नहीं किया...... उसे तो कुछ भी मालूम नहीं है... अगर जो को किसी ने तकलीफ़ पहुंचायी तो... अन्जाम सोच लेना..."
उसकी भयानक हंसी कमरे में गूंज उठी... उसका चेहरा धीरे धीरे कुरूप होता जा रहा था ... उसका आधा हिस्सा हवा मे लीन हो चुका था......... कमरे मे अचानक ठन्डी हवा का झोंका आया... उसका बाकी शरीर भी धुआं बन कर झोंके साथ खिड़की में से निकल कर हवा में विलीन हो गया...... सभी वहां पर स्तब्ध खड़े रह गये। इंस्पेक्टर के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी... वो कांप रहा था...
"ये...ये क्या भूत था... आप के दोस्त क्या भूत होते है..." उसने मेरे हाथ से हथकड़ी खोलते हुए कहा...
"नहीं इन्स्पेक्टर साब मेरे दोस्त भूत नही... चुड़ैल होती है..." मैं चिढ़ कर बोला।
सभी पुलिस वालों ने वहां खिसक जाने में ही अपनी भलाई समझी... मै अपना सर थाम कर बैठ गया... ये रास्ते से क्या बला उठा लाया था... मम्मी घबरायी हुयी सी कमरे में आयी..."जो बेटा... क्या हुआ... ये पुलिस क्यो आयी थी..."
"कुछ नहीं मम्मी... पुलिस नही... मेरा दोस्त था... मेरे साथ पढ़ता था... अब पुलिस में है... यू ही यहां से पास हो रहा था सो मिलने आ गया..."


बुधवार, 18 अप्रैल 2012

मेरी पहली मांग भराई-3


अब मैं अपनी पिछली कहानी से आगे लिखने जा रही हूँ: मैं अब कुंवारी नहीं थी, लल्लन ने मुझे चुदाई का स्वाद चखा दिया। अब तो मौका मिलते में खेत चली जाती और वहाँ लल्लन मुझे मन मर्ज़ी से रौंदता। इन दिनों ही मेरी नज़रें पास के गाँव के सरपंच के लड़के लाखन से दो से चार होने लगीं और आखिर एक दिन उसने पारो के ज़रिये, पारो मेरी पक्की सहेली, हमराज़ थी, मुझे संदेशा भेज दिया। वैसे भी मुझे महसूस हुआ कि लल्लन कुछ बदला सा था, तो मुझे इस बात का इल्म होने लगा था कि वो मुझ से शादी-वादी नहीं करने वाला, बस उसको मेरे जिस्म से प्यार था, मुझे भी अब उससे शादी-वादी नहीं करनी थी लेकिन उसका जोश और मर्दानगी अपनी जगह कायम थी। मुझे उसने चुदाई की लत लगा दी थी तो मैंने भी बेवफा बनने में वक़्त नहीं लगाया और लल्लन के रहते ही लाखन का न्योता स्वीकार कर लिया। लेकिन मैंने लल्लन से अपने जिस्मानी संबंद नहीं तोड़े, मौका मिलते ही हम दोनों खेत में घुस जाते और वहा एक दूसरे के जिस्म को निचोड़ने के बाद निकलते थे। वो जिप बंद करता हुआ निकलता तो मैं सलवार का नाड़ा बांधते हुए! अब तो मुझ पर जवानी और निखर आई थी, सिर्फ अठरह की थी लेकिन खेल बड़े-बड़े सीख चुकी थी। यही कारण था कि लल्लन मुझे छोड़ना नहीं चाहता था और मैं अब लाखन को भी नाराज़ नहीं करना चाहती थी। वैसे भी लल्लन ने मुझे कभी बंदिश में रहने के लिए नहीं कहा। लाखन ने मुझसे अकेले मिलने की इच्छा ज़हर की, मैं भी उसको मना करने के मूड में नहीं थी, लेकिन लाखन के पास पैसा था, वो एक अमीर बाप का बेटा था उसने एक दिन सुबह मुझे स्कूल जाते वक़्त रास्ते से अपनी कार में बिठा लिया। लल्लन स्कूल के बाद मिलता था इसलिए मैंने लाखन को मिलने के लिए सुबह का समय तय किया, चाहे उसके लिए एक दिन स्कूल भी छोड़ना पड़े। लाखन ने मुझे लेकर शहर वाली सड़क पकड़ ली और कुछ देर में हम शहर पहुँच गए। मैं ज्यादा शहर नहीं आई थी, वहाँ की दुनिया अलग थी। मुझे लेकर पहले उसने कॉफी पिलाई और वहाँ नाश्ता भी किया, उसके बाद मुझे वो एक बहुत बड़े मॉल में ले गया और हम एक कपड़ों के शोरूम गए। मेरे लिए जींस खरीदी, टॉप खरीदा। मैंने यह सब कभी नहीं पहना था, अजीब सी लग रही थी, उसके लिए मैंने पहन भी लिए। वहाँ उसी मॉल से उसने मुझे मोबाइल लेकर दिया। मैं बहुत खुश थी। मुझे लेकर होटल की तरफ जाने से पहले उसने कार एक पुरानी सी इमारत के पास रोकी, मुझे लेकर अन्दर गया। वहाँ उसने जेब से सिन्दूर निकाला और एक मंगलसूत्र, लिपस्टिक, लाल चूड़ियाँ भी! उसने मेरी मांग भरी, मंगलसूत्र पहनाया, चूडियाँ चढ़ाई और हम सीधा एक आलीशान होटल में चले गए। ऐसी चकाचौंध मैंने कभी नहीं देखी थी, मैं मानो गाँव से स्वर्ग पहुँच गई थी। दरबान ने सेल्यूट मारा, स्वागत हुआ। वहाँ से एक लड़की ने चाबी थमाई और एक लड़का हमें कमरे तक ले गया। उसने कमरा खोला और हमारा स्वागत किया। बहुत खूबसूरत था कमरा! बिस्तर पर गुलाब के फूल थे, खुशबू से मन मोहा जा रहा था।
कैसा लगा मेरी जान? बहुत खूबसूरत! उसने दरवाज़ा लॉक किया, मेरे पास आया, मेरे होंठ चूमे। मेरा कौन-सा पहला स्पर्श था, मैं गर्म होने लगी। उसने मेरा टॉप उतारा, मैं चुपचाप उसकी नज़रों से नज़रें मिला नशीली आँखों से उस पर वार करने लगी। उसने मेरी गर्दन चूमी तो मैं सिहर उठी। बदन कांप सा गया, जिस्म सुलगने लगा! उसने अपनी शर्ट उतार दी। क्या छाती थी! उसने मेरे बाल खोल दिए और मुझे बिस्तर पर धक्का दिया। जैसे ही मैं गिरी, वो मेरे ऊपर गिर गया और होंठों से चूमता हुआ गर्दन पर फिर मेरे ब्रा को सरका मेरे चुचूक पर! मैं मचल उठी! फिर मेरी नाभि पर, फिर उसने मेरा बटन खोला, जिप खोली, घुटनों तक सरकाई, पैंटी के ऊपर से उसने मेरी चूत का चुम्मा लिया। मैं तड़फ उठी! मेरी जांघों पर चुम्बन लिया, जींस नीचे सरकाता गया, चूमता गया! पूरी जींस मेरी गोरी टांगो से अलग की, अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। उसने परदे करके लाईट बंद की और छोटी लाईट जला दी। गुलाब की पंखुड़ियों के ऊपर वो मुझे बेपर्दा करता गया, मैं होती गई। उठा, वाशरूम गया, वापस आते ही उसने अपनी जींस उतारी। मैं नशीली आँखों से बिस्तर पर लेटी देखने लगी। उसने वहीं खड़े रह मुझे आँख मारी और अपने लौड़े को कच्छे के ऊपर से सहलाता हुआ चिड़ाने लगा। मेरी आग भड़कने लगी, मैं मचलने लगी। उसने थोड़ा नीचे सरका दिया अपना कच्छा और अपना लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगा। मैं पागल हो गई, दिल कर रहा था अभी मुँह में ले लूँ! बहुत मस्त लौड़ा था उसका! बड़ा! मोटा! पूरा खड़ा हो चुका था। मुझे चिड़ाने लगा, मैंने सोचा, पहली बार आई हूँ, क्या सोचेगा। मुझे शैतानी सूझी! मैंने वहीं अपनी ब्रा उतार दी और उसको दिखाने लगी। वैसे भी मेरे मम्मे देख सबके खड़े होते हैं, उसके मुँह में भी पानी आने लगा। मैंने अपना एक हाथ पैंटी पर रख लिया और दूसरे से मम्मे सहलाने लगी। वो उसी वक़्त बिस्तर पर कूद गया और पागलों की तरह मेरे मम्मे चूसने लगा, कभी चुचूक चूसता, काट देता! मैं भी अपने को नहीं रोक पाई और उसके अंडरवीयर को उतार फेंका और उसके लौड़े को पकड़ जोर-जोर से मुठ मारने लगी। उसने चूत में ऊँगली घुसा दी तो मैंने उसी वक़्त उसके लौड़े को मुँह में लेकर चूसना शुरु कर दिया। वो भी यही चाहता था और मैं भी! उसका लौड़ा सच में सबसे बड़ा था अब तक जितने पकड़े थे, लिए थे। बहुत स्वाद था उसका नमकीन लौड़ा! और चूस रानी! खाजा इसको! और तुम भी ऊँगली हिलाओ न जोर से! हाँ-हाँ! वो मेरे दाने पर उंगली रगड़ने लगा। मैं चूस रही थी, उसने उंगली तेज़ की तो इधर मेरा मुँह तेज़ी से चल पड़ा। मैं तो झड़ने के करीब आ चुकी थी, तुरंत उसको धकेला और लौड़ा घुसाने को कह दिया। उसने उसी वक़्त टाँगें खुलवा कर कन्धों पर रखवा ली और......वाह! कितना मस्त था उसका लौड़ा! मेरी चूत की दीवारों से घिसता हुआ वो मेरे अन्दर हलचल मचाने लगा, उसकी एक-एक मारी चोट मुझे स्वर्ग दिखा रही थी। करीब दस मिनट वैसे ठोकने के बाद उसने मुझे घोड़ी बनवा दिया और घुसा दिया। फिर साथ-साथ मेरे चूतड़ मसल-मसल मेरी ले रहा था, मैं उसका लौड़ा ले रही थी! वो तेज़ हुआ और करीब सात-आठ मिनट में उसने मेरी चूत को अपने रस से भिगो दिया। मैं तो इस बीच दो बार झड़ चुकी थी, वो सच में असली मर्द था, उसने मेरा ढांचा हिला कर रख दिया था। पूरा दिन उसके साथ रही और उसने दो बार और अपने रस से मेरी चूत और एक बार गांड को पानी पिलाया। जब हम होटल से निकले तो मेरी हालत खस्ता थी। लेकिन आज एक नया लौड़ा ले चुकी थी। घर आकर मैं सो गई, शाम को आंख खुली तो माँ बोली- हमारे साथ शादी पर चल! पापा के एक पक्के दोस्त के लड़के की शादी थी, हमें बारात के साथ जाने का ख़ास न्यौता था। मैंने पढ़ाई का बहाना बना कर मना कर दिया। माँ बोली- चल खाना वगैरा बना कर खा लेना, दादी माँ को खिला देना! दरवाज़े बंद कर लेना! रात को वहाँ से निकलते वक़्त फ़ोन कर देंगे। दरवाज़ा खोल देना। ठीक है! अब भी मेरा बदन टूट रहा था, फिर सो गई। कुछ देर बाद दरवाज़े पर घण्टी बजी! मैं उठी! फिर क्या हुआ!

मेरी पहली मांग भराई-2


अब मैं अपनी कहानी को आगे बढ़ाती हूँ। जैसे कि मैंने बताया था कि किस तरह गाँव के मनचले मेरे और मेरी बिगड़ी हुई सहेलियों के आगे-पीछे मंडराते थे और हम भी उनका हौंसला बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ती थी। यही कारण था कि सबका हौंसला हमारे प्रति बढ़ चुका था। खैर! उस दिन तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि लल्लन मुझे इस तरह दबोच लेगा, मैं तो अपनी मस्ती में खोई घर लौट रही थी अकेली! ऊपर से गर्मी थी, लेकिन लल्लन ने तो मानो उस दिन घर से निकलते वक़्त धार लिया था कि आज आरती की जवानी के रस में खुद को भिगोना ही भिगोना है। उसने मुझे बाँहों में लेकर खूब चूमा, मेरी कुर्ती उतार दी फिर उसने ब्रा खोल मेरे अनछुए चुचूकों को चूसा और फिर जमकर मेरे होंठों का रसपान किया। इस सब के बीच मैंने कई बार उसको अपने से अलग करने की नाकाम कोशिश भी की लेकिन अलग नहीं हो पाई और वो मेरे बदन के साथ मनमानी करता रहा। पहली बार किसी मर्द का स्पर्श पाकर मैं भी उत्तेजित हो गई थी और सब मर्यादा भूल उसको अपना जिस्म सौंपने तक चली गई थी। लेकिन आखिर मैंने उससे अलग होने को कहा तो ना जाने वो कैसे मान गया, मुझे खुद समझ नहीं आई कि इतना ज़बरदस्त मौका उसने कैसे छोड़ दिया। ना जाने कब उसने मेरा नाड़ा ढीला करके उसका एक सिरा पकड़ लिया था, बोला- ठीक है जाओ! मेरी जान जाओ! लेकिन कब तक और कहाँ तक भागोगी? आखिर तुम्हे लल्लन की होना पड़ेगा! हाँ! हाँ! पक्का! मैं जैसे ही उठी, मेरी सलवार खुल कर नीचे गिर गई और मेरे नाड़े का एक छोर लल्लन ने पकड़ रखा था। हाय! यह क्या हो गया राम जी? बोला- राम जी यहाँ नहीं हैं जान! यहाँ तेरे लल्लन जी हैं! मैंने दोनों हाथ अपनी नंगी जांघों पर रख दिए। करती तो क्या! सच में मैं तो पूरी तरह से उसके बुने जाल में फंस चुकी थी। जैसे ही ऊपर से नंगी हुई, बोला- क्या माल है तू आरती! उसको छुपाया तो बोला- कितनी मुलायम और गोरी जांघें हैं तेरी! उसने उन पर हाथ रख कर सहला दिया- हाय, प्लीज़ छोड़ो मुझे! उसने सलवार पकड़ पीछे रख दी और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। उसने अपनी पैंट उतार दी, सिर्फ अंडरवीयर में था और उसका तंबू बन चुका था। हाय राम जी! आपने क्यूँ उतार दी? तेरे लिए आरती रानी! तेरे लिए! तूने मुझे अपना हुस्न दिखाया, अपनी जवानी दिखाई! तो मेरा फ़र्ज़ बनता है अपनी मर्दानगी दिखाने का! दोनों ही सिर्फ एक-एक वस्त्र में थे। उसने मुझे पकड़ अपने नीचे डाल लिया और वो मुझ पर हावी होने लगा। मैं भी पिघलने लगी। आखिर एक जवान लड़की एक जवान मर्द के साथ एकदम नंगी, वो भी ऐसी जगह पर! उसने जम कर मेरे मम्मे चूसे, मेरे चुचूक काटे, कभी-कभी मेरा पूरा अनार अपने मुँह में लेकर निचोड़ देता, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने कच्छे में घुसा दिया। जैसे ही मैंने उसको छुआ, मेरे तन-बदन में जवानी की आग भड़क उठी, उसने मेरी पैंटी भी उतार फेंकी। और जैसे ही उसका हाथ मेरी तपती चूत पर आया, हाथ लगते मैं भड़क उठी। हाय साईं! यह क्या कर रहे हो? तेरी जवानी लूटने की ओर पहला कदम बढ़ाया है! मत करो ना! मैं मर जाऊँगी! अगर ना छोड़ा तब भी, और अगर छोड़ भी दिया तब भी! वो कैसे? अगर मैंने तुझे चूत मारने दी तो मेरी सुहागरात तो कुंवारापन लेकर सेज पर जाने का सपना ख़त्म और अगर ना करने दिया तो अब मर जाऊँगी। छोड़ो ना जान! बस चुपचाप रहो! उसने लौड़ा निकाल लिया और पहले खुद सहलाया फिर मुझे दिखाते हुए बोला- देख मेरा लौड़ा! असली मर्द का संपूर्ण लौड़ा! मैंने पकड़ा तो वो फड़फड़ा उठा। हाय यह तो उछल रहा है? तेरी जवानी है ही ऐसी मेरी जान! उसने मेरी गर्दन पर हाथ रख नीचे की तरफ दबाव दिया- चूमो इसको मेरी जान! नहीं-नहीं! इसको चूसते नहीं हैं! जान सब चूसती हैं, अपनी सहेली से पूछना! बता देगी! चलो! जैसे मैंने मुँह खोला, उसने मुँह में घुसा दिया और आगे-पीछे करने लगा। मुझे उसका स्वाद अच्छा लगा तो आराम से चूसने लगी, मुझे उसका लौड़ा चूसने में बेहद मजा आ रहा था। फिर उसने मुझे लिटा मेरी टाँगें खोल बीच में बैठ कर अपनी जुबान मेरी चूत पर लगा दी और चाटने लगा, जीभ घुसा-घुसा कर छेड़ने लगा तो मैं पागल हो गई और गांड उठाने लगी। वो जान गया था कि मुझे किस चीज की ज़रूरत है। उसने तुरंत अपना लौड़ा मेरी गुफा के मुँह पर रख दिया और धीरे से धक्का लगाना चाहा पर लौड़ा फिसल गया। मैं पागल होने लगी- घुसा दो ना! हाँ! हाँ! अभी घुस जाएगा मेरी जान! लल्लन, मुझे कभी छोड़ना मत! कभी नहीं! अब तो तेरी जवानी आये दिन और निखरेगी। उसने थूक लगाया दुबारा टिकाया, मैंने हाथ नीचे ले जाकर पकड़ लिया। इस बार उसने जोर देकर धक्का मारा, मानो मेरे कंठ में हड्डी फंस गई हो! दर्द के मारे मेरी आवाज़ निकलनी बंद हो गई थी, मैं तड़फ रही थी, हाथ पैर चलाने की पूरी कोशिश की, उसने तो दूसरे धक्के में पूरा अन्दर घुसा दिया। मैं रोने लगी। बोला- नहीं जा रहा था तो जोर लगाना पड़ा! बस अभी देखना, मेरी आरती खुद कहेगी लल्लन चोद और चोद! बड़ी मुश्किल से बोली- मैं जिंदा बचूंगी तो तब ही कहूँगी ना! मुझे छोड़ दे! साली खेत में पहला मिलन हुआ, जब सब कुछ हो गया अब छोड़ कैसे दूँ? अब तो बस चोद दूंगा। फाड़ दी मेरी चूत तूने! हां फाड़ दी! रुकने के बाद आधा निकाल फिर घुसा दिया। उसे राहत मिली। देखते ही आराम से घिसने लगा मेरी चूत की दीवारों से घिस-घिस कर घुसने लगा। तस्वीर बदल चुकी थी, सच में मेरी गांड हिलने लगी, कमर खुद गोल-गोल हिलते हुए लौड़े का मजा लेने लगी। उसकी चुदाई में एकदम से तेज़ी आई और लल्लन मुझे जोर-जोर से चोदने लगा और फिर आखिर उसने मेरी कुंवारी चूत को मरदाना रस से भिगो दिया। सारा दर्द मिट गया था, हम दोनों हांफने लगे थे। मजा आया ना आरती? हाँ बहुत आया! बहुत दिनों से तुझे अपनी बनाने की ताक में था, आज मौका मिल गया। उठो भी अब! चलो लेट हो जाऊँगी! हाँ-हाँ बस! दोनों खड़े हुए, अपने-अपने कपडे पहने, कुर्ती डालते वक़्त उसने दुबारा मुझे दबोच लिया और मेरे मम्मे पीने लगा।बोला- एक बार और चोदने दे ना! अरे बाबा नहीं! अब तो मैं तेरी हूँ। उसने छोड़ दिया, वो पिछले रास्ते निकल गया। मैंने सलवार का नाड़ा कस कर बांधा और किताबें उठा घर आ गई। मैं अब कुंवारी नहीं थी, लल्लन ने मुझे चुदाई का स्वाद चखा दिया। अब तो मौका मिलते में खेत चली जाती और वहाँ लल्लन मुझे मन मर्ज़ी से रौंदता। इन दिनों ही मेरी नज़रें पास के गाँव के सरपंच के लड़के लाखन से दो से चार होने लगीं और आखिर एक दिन उसने पारो के ज़रिये, पारो मेरी पक्की सहेली, हमराज़ थी, मुझे संदेशा भेज दिया। वैसे भी मुझे महसूस हुआ कि लल्लन कुछ बदला सा था, तो मैंने भी बेवफा बनने में वक़्त नहीं लगाया और लल्लन के रहते ही लाखन का न्योता स्वीकार कर लिया। आगे क्या हुआ, अगले भाग में लिख रही हूँ।

मेरी पहली मांग भराई-1

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सोमवार, 16 अप्रैल 2012

बॉयफ़्रेन्ड ब्लू फ़िल्म देखते चोदता रहा

आप यकीन करें या न करें ये मेरे जीवन के सच्ची कहानी है! मेरे पापा बहुत ही स्वार्थी हैं और हम तीन बहिने और एक भाई हैं। रिटायर होने के बाद वो हमारे दो कमरों के मकान के एक कमरे में ख़ुद रहने लगे और अपना सारा पैसा एक बक्से में चार ताले लगा के रखते थे. यहाँ तक की मम्मी को घर-घर जाकर काम करके खर्चा चलाना पड़ता था। मैं बहुत चुस्त थी, मासूम थी खेल कूद में तेज थी. नागपुर में हुई हाफ़ मेराथन में मैंने भाग लिया और 42वें स्थान पर रही, लड़कियों में 10वें स्थान पर रही। इसी वजह से मुझे जवाहर नवोदय विद्यालय में शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका की नौकरी मिल गई। मेरी पोस्टिंग मणिपुर में हुई। उसके एक-डेढ़ साल के बाद मुझे केंद्रीय विद्यालय से शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका की नौकरी का प्रस्ताव मिला और पोस्टिंग मिली उदयपुर, राजस्थान। मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। मैंने सोचा था कि अब पहले अपनी छोटो बहिन की शादी करूंगी, फ़िर भाई बहिन को पढ़ाते हुए कोई अच्छा सा लड़का मिल गया तो शादी कर लूंगी। मेरे ही स्कूल के प्राईमरी विभाग में एक अध्यापिका थी, उसका लड़का अतुल शादी शुदा था और दो बच्चों का बाप भी। लेकिन किसी प्राइवेट स्कूल में पार्ट टाइम नौकरी करता था। मैंने भावुकता में अपनी कहानी उस अध्यापिका को बता दी थी मुझे मालूम नहीं था कि वो उसका फायदा उठाने के लिए अपने लड़के को मेरे पीछे लगा चुकी थी। धीरे-धीरे अतुल ने मुझसे दोस्ती करनी शुरू कर दी। वो मेरे घर आता था और बाज़ार से खाने की अच्छी-अच्छी चीजें लाता था। क्योंकि मैं उदयपुर में अकेली ही किराये पर मकान लेकर रहती थी तो वो जब भी आता था बड़े अच्छे से पेश आता था। जिससे मुझे उसमें एक अच्छे दोस्त के गुण दिखने लगे। मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था। एक दिन मकान की अन्दर से कुन्डी लगाना भूल गई और स्कूल से आते ही नहाने चली गई, नहा कर तौलिया लपेट कर बाहर आ गई, बाहर आते ही अतुल को देख कर चौंक गई। और वापिस बाथरूम में चली गई। अतुल से कहा की बिस्तर पर मेरे कपड़े रखे है मुझे दे दो। वो कपड़े लेकर आया और जैसे ही मैंने कपड़े लेने के लिए बाथरूम से हाथ बाहर निकाला उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कपड़ों के साथ बाथरूम में आ गया। मैं रो पड़ी मेरा रोना देख के वो दोनों हाथों से मेरे आँसू पौंछने लगा और फ़िर मुझे चुप करा के बाहर चला गया। मैं कपड़े पहन कर बाहर आई। शर्म के मारे मैं अतुल से आँखें नहीं मिला पा रही थी। उसने प्यार से मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गालों को चूम लिया। मैं शरमा के रसोई में चली गई और दो कप चाय बना के ले आई। अतुल गरम गरम पकौड़े लेकर आया था हमने चाय पकौड़े खाए और फ़िर फ़िल्म देखने गए। फ़िल्म देखते देखते अतुल के हाथ मेरे मम्मों पे फिसलने लगे मैंने झटके से उसके हाथ हटा दिए। लेकिन वह बार-बार जब मेरे मम्मों पर हाथ लगाने लगा तो मुझे भी मजा आने लगा। फ़िर उसने मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरी जांघें भी सहलाई, मुझे बड़ा मजा आने लगा था मैं समझ नहीं पा रही थी। वापिस घर जाते हुए मैं उसके स्कूटर पे उससे चिपक के बैठी थी। वो मुझे घर छोड़ के चला गया और बोला कल मैं एक कैसेट लेकर आऊंगा तब तुम सब समझ जोगी। असली मजा क्या होता है। उसके बाद अगले दिन वह ब्लू फ़िल्म की कैसेट लेकर आया और मुझे बोला- आओ इसका मजा लें। मैं स्कूल से आकर नहा कर केवल स्कर्ट और स्लीवलेस टॉप पहने हुई थी। मैंने कहा- क्या पियोगे? उसने कहा- आज तो मैं बियर लाया हूँ और साथ में गर्म गर्म पकौड़े और उबले हुए अंडे भी। मैंने थोड़ा शरमाते हुए पूछा- ये ब्लू फ़िल्म क्या होती है? उसने कहा- तुम प्लेयर में लगाओ तो ख़ुद ही समझ जाओगी। मैंने कहा- तुम इसे लगाओ, मैं अंडे और पकौड़े प्लेट में डाल के लाती हूँ। हम दोनों सोफे पर बैठ कर फ़िल्म देखते हुए बियर के सिप लेने लगे। एक ग्लास ख़त्म हुआ तब तक फ़िल्म में एक लड़का और एक लड़की नंगे होकर एक दूसरे का भरपूर मजा लेने लगे थे. मैंने पहली बार किसी लड़के के लण्ड को देखा था वो भी खड़ा और तना हुआ। लड़की उसे मुंह में लेकर चूस रही थी। मैंने शर्म से आँखे बंद कर ली अचानक अतुल को शरारत सूझी, उसने बियर से भरा एक गिलास मेरे टॉप पे डाल दिया। मैंने घबरा कर टॉप उतार दिया और बाँहों से मेरे ब्रा में कसे हुए बूब्स को ढकने का प्रयास किया। अतुल ने मेरे दोनों हाथ खोल दिए और मेरे होठों पर अपना होठ रख दिया मेरे होठों पर किसी मर्द का पहला चुम्बन पाकर मैं सिहर गई। लेकिन मुझे अच्छा लगा था। मैंने अतुल को धक्का दिया तभी देखा सामने टीवी पर लड़का अपना लण्ड लड़की की चूत में डाल कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा था और लड़की ऊ उउ हा अआः या...।या..। फक मी फक मी फास्टर..ऊऊ ओह्ह ऊ ओह्ह आवाजें निकाल रही थी। अतुल ने बियर का एक गिलास और बनाया और हमने झटपट बियर ख़त्म की और स्नैक्स भी।अब तक मुझमें भी नारी सुलभ उत्तेजना भर चुकी थी। फ़िर भी मैं अतुल को ही पहल करने देना चाहती थी। उसने देर नहीं की, पहले उसने अपने पैंट और शर्ट उतारी और मात्र अंडरवियर में मेरे पास आ कर मुझे सोफे पर लेटा दिया और मेरे पूरे बदन पे चुम्बनों की बौछार कर दी। मैं मस्ती से भर उठी...टीवी पर भी चुदाई तेज हो गई थी उस लड़की की आवाजें सुन कर मैंने भी अतुल से कहा ऊ ऊऊ ओह्ह डीयर अतुल मुझे जी भर के चोद दो आज। अतुल तो तैयार था उसने मेरी ब्रा हटाई और कस के दायें हाथ से मेरे बाएं बोबे को मसलने लगा और अपनी होठों से मेरे दायें बोबे को चूसने लगा मेरा मजा बढ़ता ही ज़ा रहा था। टीवी में चुदाई का एक सीन ख़त्म हो चुका था और लड़की ने लड़के के लण्ड का सारा रस अपने मुहँ में ले लिया था। मेरे बदन को चूमता हुआ अतुल मेरी जांघों के बीच पहुँच गया था उसने मेरी पैंटी भी हटा दी थी और मेरी चूत को चाटने लगा था, कभी मेरे दाने को मुँह में लेकर जोर से चूस लेता था और मैं चूतड़ उठा उठा के उसके भीतर के मर्द को उकसा रही थी-हाँ हाँ यूँ ही राजा बहुत मजा आ रहा है !हीई ईइ ऊ ओह ऊऊऊ उह्ह् आ आआ आअ.। तभी उसने मुझा खड़ा किया और मेरे मुँह में अपना लण्ड देकर बोला इसे चूसो मेरी ज़ान! इतनी होट केंडी तुमने आज तक नहीं चूसी होगी। सच उसके लण्ड का सुपाड़ा बहुत मोटा था। एक बार तो मुझे थोड़ा ख़राब लगा, फ़िर देखा टीवी में लड़की ने फ़िर से लड़के के लण्ड को चूसना शुरू कर दिया था। उसे देखकर मैं भी फ़िर से हिम्मत जुटा कर उसका लण्ड थोड़ा थोड़ा मुँह में लेने लगी। उसने मेरे बाल पकड़ कर एक जोर का धक्का दिया और उसके पूरा लण्ड मेरे मुँह में गले तक चला गया। मैं चीखना चाहती थी पर आवाज मुँह में ही दब गई। थोड़ी देर मुँह में लण्ड आगे पीछे करने के बाद उसने मुझे सीधा लेटाया और अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरी गर्मागर्म चूत पर रख कर बोला- अब आँखे बंद कर लो रानी अब जो मजा आएगा वो तुम्हे स्वर्ग का आनंद देगा। मैंने सचमुच आँखे बंद कर ली उसने धीरे से मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे दो तीन धक्के दिए तब तक पूरा लण्ड अन्दर चला गया था, थोड़ा खून भी निकला था। मैं दर्द से छटपटा रही थी उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए थे। कुछ देर टीवी में ध्यान लगाया। उन दोनों की दूसरी चुदाई देखकर और लड़की को हँसते हुए मजा लेते देख कर मेरे दर्द भी कम हो गया और फ़िर अतुल ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी। साथ ही बीच में वह मेरे बोबे दबा रहा था, चूस रहा था और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरे मुँह से आह..ऊउह् से हम...।ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्हूऊम्म्म्म्म्म्माआआअ./..। नुऊंनंह। य्य्याआआआआ द्द्द्दीईईईर्र्र्र्र्र्र्र्र्र चोदो ! आवाजें निकल रही थी. थोड़ी देर और धक्के लगाने के बाद अतुल ने मुझे घोड़ी बना लिया और फ़िर अपना लण्ड मेरी चूत पर पीछे से डाल के धक्के लगाने लगा। मुझे अब ज्यादा मजा आ रहा था मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगी- ठीक है! हाँ यार! इसी तरह चोदो ! फाड़ डालो मेरी चूत को। वह बोला तुम तो शरमा रही थी अब बोलो बहन की लौड़ी कितना मजा आ रहा है ! अतुल के धक्के तेज हो गए थे और वह लगभग हांफ रहा था और फ़िर उसने अपना लण्ड चूत से निकाल के मेरे मुँह में डाल दिया। उसके साथ ही उसके लण्ड से पिचकारी छूट गई। मैं पहले तो घबराई, फ़िर उसके वीर्य का स्वाद अच्छा लगने लगा था मैं सारा रस पी गई...! तो दोस्तों इस तरह उसने डेढ़ घंटे में एक चुदाई पूरी की पर मेरी प्यास तो बढ़ गई थी अगली किश्त में मैं आपको बताउंगी कि कैसे उसने मजे देते हुए ३ घंटे तक चोदा और उसने क्या क्या किया।