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रविवार, 18 नवंबर 2012

कहानी मेरी अध्यापिका से घोड़ी बनने तक की

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चूत की देन मिली परीक्षा में फेल होने पर

मैं एक शिक्षक हूँ और आज अपनी एक छात्रा की चुदाई की चूत कहानी सुनाने जा रहा हूँ | मैं कॉलेज में विज्ञान पढाता था उन दिनों और वहीँ एक लड़की जिसका नाम रुपाली था वो कॉलेज के तीसरे वर्षीय छात्रा थी | मैं भी उन दिनों कुछ ज्यादा बुड्डा नहीं हुआ था और क्यूंकि बस ३२ साला का ही था मैं और अब भी मेरी रगों में जवानी का खून जो दौड़ रहा था | मैं जानता था रुपाली पढाई में कुछ ज्यादा ही कमज़ोर है पर सुंदर और बदन के संगीन ढांचे के मामले में सही मायने में कोई भी लड़की रुपाली को टक्कर नहीं दे सकती थी | मैं भी जानता था की उसकी खूबसूरती के तो पुरे कॉलेज के लड़कों के बीच आय दिन चर्चे होते ही रहते हैं | उन दिनों स्टार की अंतिम परीक्षा चल रही थी और मैं सभी छात्रों का पेपर जांच रहा था | रुपाली परीक्षा बहुत गन्दा गया तह और वो तभी मेरे केबिन में आई की सर प्लीज़ मुझे पास कर दीजिए....नहीं तो मेरे घर वाले मेरी शादी कराके गॉंव भेज देंगे....!! मेरी पहले हंसी छूट पड़ी और मैंने कहा, जब तुम्हे कुछ पढ़ा ही नहीं थी मैं क्या कर सकता हूँ......?? जिस पर वो कहने लगी.......सर प्लीज़ मुझे पास कर दीजिए.....मैं पास होने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ.....पर प्लीज़ मुझे पास कर दीजिए.....!! अब मेरे दिमाक में भी कुछ अव्वल ख्याल आने लगे और मैंने कहा, पास के मैं तो तुम्हे अछे नम्बरों से पास कर सकता हूँ....तुम मुझे वो खुशी दे पायी जो मेरी बीवी न दे सकती तो.....!! रुपाली अब तक मेरे इरादों को भांप चुकी थी और मन तो उसका नही कर रहा तह पर फेल होने के दर से उसने मुझे हां कर दी | मैंने उसे शाम को मेरे फार्म हाउस में आने को कहा और सह वक्त पर पहुँच गयी | रुपाली आई और बेठी की मैं उसके बदन से चिपट पड़ा जिस पर वो भी कोई दिक्कत नहीं जता रही थी | मैंने रुपाली के बदन को मसलते हुए उसे चूम रहा था मैंने उसकी टॉप को उतार दिया | वो भी अब कामुक सुख के आनंद में डूबती जा रही थी और चुचों को मसलते हुए चूसने लगा | मैंने अब बस उसके चुचों को भींचते हुए उसकी स्कर्ट को भी खोल और फिर उसकी चूत पर चोदने के लिए उसकी दोनों टांगों को खोलते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा | रुपाली अब तडपने लगी और मैंने एक दम से अपने लंड के झटकों से उसकी चूत को ठूंस चोदने लग गया | वो भी कामुकता के मज़े में पूरी तरह से डूब चुकी थी और कहने लगी की सर आपके लंड के लिए मैं हज़ार भर फेल होने को तैयार हूँ.......मैं अब भी मुस्काता हुआ उसे चोदता रहा और आखिर में उसकी बंद आँखों पर अपना मुठ छोड़ उसे कामुक नींद से जगा डाला | अब जब भी वो फेल होती तो एक रात उसकी चूत की मेरे साथ होती |

रेलगाड़ी में मल्लू प्रेमिका की आहोश में खोया


आज मैं आपको रेलगाड़ी में मल्लू प्रेमिका की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ | दोस्तों हुआ यूँ की मैं किसी काम से बहार गया हुआ था और जब आया तो मेरी प्रेमिका ने बताया की उसके पापा मुझसे बात करना चाहते हैं जिस पर मैंने उसके कहे दिया की हम अगले दिन की रेलगाड़ी से उसके पापा से भी मिलने चलेंगे | हम जल्द – बाज़ी में अपने घर से निकले और अपनी रेलगाड़ी में बैठ सफर पर भी निकल पड़े | दोस्तों मैंने काफी समय से अपनी प्रेमिका के साथ चुदाई वाला खेल नहीं खेल था और वहाँ उसके घर जाकर तो चाहकर भी मैं नहीं कर सकता था | मेरा दिमाक में तभी रोमांटिक विचार चलने लगे और मैं उसे मीठी – मीठी बातें कर पटाने लगा| हम रात को सोने का बाद उप्पर ही सीट पर सो गए जिस पर मैं उसे कुक हरकतें करते हुए उकसाने लग जिस पर वो भी उत्तेजित होकर मेरे होंठों के रस को चूसने लगी और मैं उसके चुचों को भींचे जा रहा था | हमने वहाँ सोते वक्त हलके फुले कपड़े पहने हुए थे इसीलिए चादर के अंदर हमें नागे होने वक्त नहीं लगा और अब मैं उसके नंगे बदन को मसलते हुए उसे चूम रहा था| मैंने उसके मीठे–मीठे चुचों को मसलते हुए चूसने लगा| मेरी वासना मेरे सर पर चडी तो मैंने उसकी चुत पर पहले ऊँगली फिराई और फिर उसमें ऊँगली देकर सूंघने लगा और उसकी चुत की चरबी को चाटने भी लगा| मैंने अब अपने लंड को उठाकर उसकी चुत पर रख दिया उसकी दोनों टांगों को खोलते हुए लंड को वहीं रगड़ने लगा जिस पर वो लंड को अपनी चुत में पूरी तरह समाने के लिए तडपने लगी और मैंने एक दम से अपने लंड के झटकों से उसकी चुत को चोदने लग गया | वो अब हलके–हलके सिसकियाँ ले रही थी पर मैं बिना कुछ सुने उसकी टांगो को खोल चोदे जा रहा जैसे अपने लंड को पार कर मैं उसकी चुत को फाड देना चाहता था | मैं कुत्ते की तरह उसकी चुत अपर चड हुए इतनी तेज़ी से चोदे रहा था उसकी चुत का पानी भी निकल पड़ा जिस पर अब मुझे फिर से दूसरी पारी के लिए होश बंधाते हुए उसकी चुत ऊँगली बाज़ी करनी पड़ी | अब जब सब कुछ फिर गरमाने लगा तो मैंने अपने लंड को उसकी मल्लू चुत को मसलते हुए देना शुरू कर दिया और इस बार मैंने उसे उलटे ही लिटाये रखा था जिस पर उसकी सिसकियाँ बहार–गलती से भी नहीं पहुँच सकती थी| हम पूरी रात पर चुदाई करते रहे और मैं हिलती हुई रेलगाड़ी में अपने लंड को इसी तरह तेज़ी से हिलाते हुए झड भी गया| मेरे झड़ने पर मुझे नींद आने लगी जिस पर मेरी प्रेमिका ने मुझे मस्त वाले चुम्मे दिए और हमने फ़ौरन कपड़े पहन लिए| उसके बाद ही मैंने अपने सर को अपनी प्रेमिका की गौद में रखा और उसके चुचों को हलके–हलके दबाते हुए सो गया और अंत में हम सही–सलामत पहुँच भी गये| 

क्रिकेट के बाद चूत के मैदान में मैच

आज मैं आपको सोनी की खरी चूत चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ और मुझे उम्मीद है यह कहानी आपको खूब पसंद आएगी | दोस्तों सोनी मेरे सामने के मौहल्ले में रहा करती थी | जान मैं क्रिकेट खेलने जाया करती थी और क्यूंकि उस्भी क्रिकेट में दिलचस्पी थी तो वो हमेशा अपने घर की बालकोनी से हमारा मैच देखा करती थी | अब मैं भी उसे ताका करता था और जब हमें छक्के मारता था तो साथ में उसे भी आँख मार दिया करती था जिस पर वो भी मुस्का दिया करती थी |   ज़ाहिर तौर पर वो भी मुझसे पसंद करती थी और कई दिनों तक हमारी इसी तरह इशारों ही इशारों ही में बातें होने लगी और एक दिन मौका आ ही गया जब मैं उससे मिलने वाला था | एक दिन मैंने उसे इशारे में क्रिकेट खेलते वक्त नीचे बुलाया और वो कुछ देर में आ भी गयी | मैं वही मैदान के एक कोने में उससे बता करने लगा और वो भी मेरे मैदान के प्रदर्शन के बारे में तारीफ़ झाड रही थी | मैं सातवें आसमान पर पहले से ही था और अब उसे चोदने के लिए और भी उतावला होता जा रहा था | उसकी कामुक मुस्कान और नशीली आँखें मजबूर रही थी | तभी मैंने उसे कहा की मैदान के पीछे झाडियों में मैं उसके दिखाना चाहता हूँ और वो भी चल डी | वहाँ जाते ही मैंने उसे एक फुल तोड़कर दे दिया और कहा की मैं उससे प्यार करने लगा हूँ | वो शरमाई और मैं उसे बेतहाशा तरीके से पुरे चेहरे पर चूमने लगा | हमारे चुम्मों बहुत दम था की आज ही सारा एक बार में कांड आगे बढ़ता चला गया | सोनी मेरी बाहों में चिपकी हुई थी और मैं अब तक उसके चुचों को मसल रहा था | हम दोनों का उतावलापन बढ़ता ही जा रहा तह और तभी मैंने उसे वहीँ झाडियों में लिटा डाला और उसकी कुर्ती सलवार उतार पूरी नंगी कर दिया | वो भही चुदने के लिए दीवानी होती जा रही थी और अब मैंने भी अपनी उंगली उसकी चूत में डालते हुए अंदर बाहर करने लगा और उसकी चूत का निकल गया | मैंने अपने लंड के सुपाडे उसकी चूत के मुहाने पर टिकाया और एक मस्त वाला धक्का लगाया जिससे उसकी चींख निकल पड़ी | मैं रुकने वाला नहीं तह और अब भी ज़ोरों से धक्के पेलने लगा | अब सोनी की चूत से खून बहने लगातो मुझे न चाहते हुए भी रुकना पड़ा और फिर वहीँ झाडियों से उसका साफ़ किया और फिर उसकी चूत पर लंड को रगड़ते हुए झटके देने लगा | वो मज़े ले रही थी इस बार और जोर-जोर से चोद मुझे....और चोद मुझे...!! कहकर चिल्ला रही थी | मैंने अज तक क्रिकेट में चक्का लगाने के लिए इतना जोर नहीं लगाया जितना अभी मैं इसकी चूत पेलने में अपने लंड का लगा रहा था | उसकी चींखें और मुझे और जोश दिलाती ही गयी और लगातार उसकी चूत में अपने लंड के चक्के छुड़ाता रहा | मैं भी अब कुछ देर बाद इतना थक गया की रहत भरी सांस लेटे हुए वहीँ अपने मुठ को छोड़ लेट गया | अब जब भी रोज मेरा क्रिकेट मैच खतम हो जाया करता तो सोनी नीचे बुलाता और वहीँ झाडियों में उसकी चूत को पेल चेन की सांस लेता था |